दिल्ली: वायु प्रदूषण के कारण लोगों का इम्यून सिस्टम ही उनका दुश्मन बन जाता

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जलवायु परिवर्तन के कारण दिल्ली समेत कई शहरों में वायु प्रदूषण खतरनाक रूप से बढ़ रहा है। प्रदूषित हवा के लंबे समय तक फेफड़ों में जाने से ल्यूपस नामक बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। हम नहीं जानते कि बढ़ता वायु प्रदूषण हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए दुश्मन साबित हो रहा है।

ल्यूपस एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित करती है। ल्यूपस हमारी अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली का दुश्मन बन जाता है, जो शरीर को बीमारी से बचाता है। हालिया शोध निष्कर्ष आर्थराइटिस एंड रुमेटोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, वायु प्रदूषण से होने वाली ल्यूपस नामक बीमारी त्वचा, किडनी, शरीर के जोड़ों, रक्त कोशिकाओं, मस्तिष्क के साथ-साथ हृदय और फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाती है। ल्यूपस को पहचानना मुश्किल हो सकता है क्योंकि इसके लक्षण अन्य बीमारियों से मिलते जुलते हो सकते हैं। उच्च वंशानुगत जोखिम वाले और वायु-प्रदूषित परिस्थितियों में लंबे समय तक रहने वाले लोगों में ल्यूपस विकसित होने की संभावना अधिक होती है, जबकि कम वायु-प्रदूषित परिस्थितियों वाले लोगों में ल्यूपस विकसित होने की संभावना कम होती है।

12 साल के अध्ययन में 399 लोगों को ल्यूपस से पीड़ित पाया गया

शोधकर्ताओं ने यूके बायोबैंक के 4,59,815 लोगों के स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण किया। 12 साल के अध्ययन में 399 लोगों को ल्यूपस से पीड़ित पाया गया। अध्ययन में वायु प्रदूषण कणों पीएम 2.5 और पीएम 10 और नाइट्रोजन ऑक्साइड और नाइट्रिक ऑक्साइड जैसे प्रदूषक घटकों की मात्रा मापी गई। इसके लिए शोधकर्ताओं द्वारा एक विशेष गणितीय मॉडल का उपयोग किया गया। यह निर्धारित किया गया कि क्या ल्यूपस के विकास के लिए विभिन्न वायु प्रदूषक जिम्मेदार थे।

अजन्मे बच्चों के लिए ख़तरा JAMA नेटवर्क ओपन में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि अजन्मे बच्चों के वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से किशोरावस्था में मानसिक बीमारियाँ हो सकती हैं। बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ ने कहा है कि वायु प्रदूषण बच्चों के दिमाग को कमजोर करता है। इससे उनकी बौद्धिकता के साथ-साथ ध्यान केंद्रित करने की क्षमता भी प्रभावित होती है और इसका असर मस्तिष्क पर पड़ता है।