माता-पिता बनाम बच्चे: माता-पिता को कभी गलती नहीं करनी चाहिए, नहीं तो बच्चे उनसे दूरी बना लेंगे

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माता-पिता अपने बच्चों के लिए ये सभी चीजें करते हैं ताकि वे सही रास्ते पर चल सकें लेकिन कई बार इसके कारण माता-पिता और बच्चे के बीच दूरियां बढ़ने लगती हैं। आज के समय में जीवनशैली बदल गई है, बढ़ते बच्चों को संभालने का तरीका भी बदल गया है।
इंसान का सबसे पहला और गहरा रिश्ता उसके माता-पिता से होता है। माता-पिता भी बच्चों के पहले शिक्षक होते हैं और वे अपने बच्चों को हर गलत काम से बचाना चाहते हैं, ताकि उनका भविष्य उज्ज्वल हो। माता-पिता अपने बच्चों के लिए ये सभी चीजें करते हैं ताकि वे सही रास्ते पर चल सकें लेकिन कई बार इसके कारण माता-पिता और बच्चे के बीच दूरियां बढ़ने लगती हैं। आज के समय में जीवनशैली बदल गई है, बढ़ते बच्चों को संभालने का तरीका भी बदल गया है।
इंसान का सबसे पहला और गहरा रिश्ता उसके माता-पिता से होता है। माता-पिता भी बच्चों के पहले शिक्षक होते हैं और वे अपने बच्चों को हर गलत काम से बचाना चाहते हैं, ताकि उनका भविष्य उज्ज्वल हो। माता-पिता अपने बच्चों के लिए ये सभी चीजें करते हैं ताकि वे सही रास्ते पर चल सकें लेकिन कई बार इसके कारण माता-पिता और बच्चे के बीच दूरियां बढ़ने लगती हैं। आज के समय में जीवनशैली बदल गई है, बढ़ते बच्चों को संभालने का तरीका भी बदल गया है।
हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे का भविष्य उज्ज्वल हो, लेकिन उन पर अपने सपने थोपना या उनसे ऊंची उम्मीदें रखना गलत है। इससे बच्चे पर मानसिक दबाव बढ़ता है, जिसके कारण वह चिड़चिड़ा हो सकता है और अपनी भावनाएं आपसे व्यक्त करने में झिझक सकता है। बच्चे को उसके सपने जीने के लिए प्रोत्साहित करें और उसे बताएं कि भले ही वह असफल हो जाए, आप उसके साथ हैं।
हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे का भविष्य उज्ज्वल हो, लेकिन उन पर अपने सपने थोपना या उनसे ऊंची उम्मीदें रखना गलत है। इससे बच्चे पर मानसिक दबाव बढ़ता है, जिसके कारण वह चिड़चिड़ा हो सकता है और अपनी भावनाएं आपसे व्यक्त करने में झिझक सकता है। बच्चे को उसके सपने जीने के लिए प्रोत्साहित करें और उसे बताएं कि भले ही वह असफल हो जाए, आप उसके साथ हैं।
किशोरावस्था में बच्चों में न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी बदलाव आते हैं और वे हर बात जानना चाहते हैं, ऐसे में उन्हें भावनात्मक सहारे की बहुत जरूरत होती है, इसलिए अगर बच्चा कोई गलती करता है तो उस पर तुरंत प्रतिक्रिया देने में मदद करनी चाहिए या फिर गुस्सा करने की गलती न करें बल्कि चुपचाप बैठकर उसकी पूरी बात सुनें।
किशोरावस्था में बच्चों में न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी बदलाव आते हैं और वे हर बात जानना चाहते हैं, ऐसे में उन्हें भावनात्मक सहारे की बहुत जरूरत होती है, इसलिए अगर बच्चा कोई गलती करता है तो उस पर तुरंत प्रतिक्रिया देने में मदद करनी चाहिए या फिर गुस्सा करने की गलती न करें बल्कि चुपचाप बैठकर उसकी पूरी बात सुनें।
अहा शर्मा जी के बच्चों, देखो पढ़ाई में कितने मेधावी हैं या तुम्हारे भाई-बहन कितने अच्छे हैं और तुम किसी काम के नहीं। ऐसे शब्दों का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और बच्चा आपसे दूरी महसूस करने लगता है। यदि इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर पालन-पोषण किया जाए तो किशोर बच्चों की अच्छी तरह से देखभाल की जा सकती है।
अहा शर्मा जी के बच्चों, देखो पढ़ाई में कितने मेधावी हैं या तुम्हारे भाई-बहन कितने अच्छे हैं और तुम किसी काम के नहीं। ऐसे शब्दों का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और बच्चा आपसे दूरी महसूस करने लगता है। यदि इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर पालन-पोषण किया जाए तो किशोर बच्चों की अच्छी तरह से देखभाल की जा सकती है।