कॉलेज के प्रिंसिपल नगरपालिका कर संग्राहक नहीं हैंः मुख्यमंत्री

गुवाहाटी, 10 जुलाई (हि.स.)। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा ने आज कालेजों में शुल्क माफी के पहले चरण के भुगतान के रूप में 349 शैक्षणिक संस्थानों को 68.44 करोड़ रुपये वितरित किए। इस पहल से लगभग 1 लाख छात्र लाभान्वित होंगे।

अपने संबोधन में मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने राज्य के कॉलेजों के प्राचार्यों पर तंज कसते हुए कहा कि कॉलेजों के प्रिंसिपल कोई नगर निगम के टैक्स संग्राहक नहीं हैं। बुधवार को गुवाहाटी के लोक सेवा भवन में आयोजित प्रज्ञान भारती योजना के तहत राशि वितरण समारोह में मुख्यमंत्री ने कॉलेजों में छात्रों के प्रवेश को पूरी तरह से मुफ्त करने की बात कही। मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा ने प्रिंसिपलों को मैगजीन और कॉलेज वीक के नाम पर छात्रों से 600-600 रुपये वसूलने को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि कॉलेजों में छात्रों का प्रवेश नि:शुल्क होना चाहिए।

कॉलेजों में छात्रों के प्रवेश के समय लिये जाने वाले 600 रुपये का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “कॉलेज के प्राचार्यों से मेरा अनुरोध है कि कॉलेजों में मुफ्त प्रवेश मिलता है। उसके बाद भी छात्रों से वसूली नहीं करते रहें। छात्रों से 600 रुपये क्यों लें? जरूरत पड़े तो मुझसे वह 600 रुपये मांग लीजिए।

उन्होंने दोहराया, “छात्रों के प्रवेश के लिए सभी व्यवस्थाएं नि: शुल्क करें। यदि आवश्यक हो तो यह नहीं कहा जाना चाहिए कि सरकार ने उनके प्रवेश को मुफ्त कर दिया है, बल्कि यह कहें कि यह व्यवस्था प्रिंसिपल ने की है। तभी प्रिंसिपल और छात्र के बीच संबंध सुधरेंगे। लेकिन, आप उन पर 600 रुपये का बोझ डालते हैं ताकि पत्रिकाएं निकाल सकें और कॉलेज वीक सेट कर सकें।

उन्होंने कहा कि उन्होंने पूब बंशर कॉलेज के प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया है। अन्य कॉलेजों के प्रिंसिपलों को समझाने की जरूरत नहीं है। क्या मेरे पास कॉलेज के प्रिंसिपल को समझाने की हिम्मत है? मैं नियमों को लागू करता हूं। मुझे समझाने का अधिकार नहीं है। अगर मैं समझाऊं तो वह क्यों समझेंगे। न तो समझाना हमारा काम है और न ही समझना आपका काम है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानाचार्यों के भाई-भतीजावाद से सरकार को परेशानी होती है। उन्होंने प्रधानाचार्यों को निर्देश दिया कि वे छात्रों से लिये गए 600 रुपये वापस कर दें। हम 30 सितंबर तक आपको मुफ्त प्रवेश की संपूर्ण राशि जारी करेंगे। छात्रों से किसी भी कारण से पैसे न लें। उन्होंने प्रधानाचार्यों को निर्देश दिए कि वे छात्रों से सरस्वती पूजा शुल्क भी नहीं वसूलें।