नई दिल्ली, 08 जुलाई (हि.स.)। केंद्र सरकार ने भारत में रोजगार की स्थिति पर सिटीग्रुप द्वारा जारी हालिया शोध रिपोर्ट का खंडन किया है। सिटीग्रुप की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत सात फीसदी की विकास दर के साथ भी पर्याप्त रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए संघर्ष करेगा।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि ये रिपोर्ट आधिकारिक स्रोतों से उपलब्ध व्यापक और सकारात्मक रोजगार आंकड़ों को ध्यान में रखने में विफल रही है। इस रिपोर्ट में आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के केएलईएमएस डेटा जैसे आधिकारिक स्रोतों से जानकारी नहीं ली गई है, यह स्रोत रिपोर्ट का खंडन करते हैं।
मंत्रालय ने कहा कि वह ऐसी रिपोर्टों का दृढ़ता से खंडन करता है, जो सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध सभी आधिकारिक आंकड़ा स्रोतों का विश्लेषण नहीं करती हैं। मंत्रालय ने बताया कि .आरबीआई का केएलईएमएस डेटा वित्त वर्ष 2017-18 से वित्त वर्ष 2021-22 तक 8 करोड़ (80 मिलियन) से अधिक रोजगार के अवसरों का संकेत देता है, जिसका मतलब है प्रति वर्ष औसतन दो करोड़ (20 मिलियन) से ज्यादा रोजगार हैं।
मंत्रालय के मुताबिक इस तथ्य के बावजूद कि 2020-21 के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी से प्रभावित हुई थी, इसके मद्देनजर पर्याप्त रोजगार पैदा करने में भारत की असमर्थता के सिटीग्रुप के दावे का खंडन हो जाता है। यह महत्वपूर्ण रोजगार सृजन विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न सरकारी पहलों की प्रभावशीलता को प्रदर्शित करता है। मंत्रालय के मुताबिक पीएलएफएस डेटा से पता चलता है कि पिछले 5 साल के दौरान, श्रम बल में शामिल होने वाले लोगों की संख्या की तुलना में अधिक रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं, जिसके परिणामस्वरूप बेरोजगारी दर में लगातार कमी आई है।
इसके साथ ही मंत्रालय ने कहा कि मुताबिक कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के आंकड़ों से पता चलता है कि ज्यादा से ज्यादा कर्मचारी औपचारिक नौकरियों में शामिल हो रहे हैं। वहीं, वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 1.3 करोड़ से अधिक सब्सक्राइबर ईपीएफओ में शामिल हुए, जो वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान ईपीएफओ में शामिल हुए 61.12 लाख की तुलना में दोगुने से भी अधिक हैं। इसके अलावा पिछले साढ़े छह साल के दौरान (सितंबर, 2017 से मार्च, 2024 तक) 6.2 करोड़ से अधिक सब्सक्राइबर ईपीएफओ में शामिल हुए हैं।
वहीं, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्र और राज्य सरकारों के अंतगर्त वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 7.75 लाख से ज्यादा नये सब्सक्राइबर एनपीएस में शामिल हुए हैं। यह वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान सरकारी क्षेत्र के तहत एनपीएस में शामिल होने वाले 5.94 लाख नए ग्राहकों से 30 फीसदी अधिक है। नए सब्सक्राइबरों में यह पर्याप्त वृद्धि सार्वजनिक क्षेत्र में रिक्तियों को समय पर भरने के लिए सरकार के सक्रिय उपायों को उजागर करती है।