भारत-रूस संबंध: एक समय में रूस से हथियार खरीदने में कितना सक्षम है भारत?

आजादी के बाद भारत में अकाल पड़ा। भारत को गेहूं की जरूरत थी. ऐसे में पंडित नेहरू ने साल 1949 में अमेरिका का दौरा किया और मदद मांगी. लेकिन उनकी यात्रा असफल रही. क्योंकि अमेरिका ने भारत की मदद करने से इनकार कर दिया था. इसके बाद भारत सरकार ने सोवियत संघ की ओर रुख किया। 1951 में इस पर औपचारिक समझौता हुआ। पारंपरिक भारतीय वस्तुओं के निर्यात के बदले में सोवियत संघ द्वारा भारत को एक लाख टन गेहूं देने का वादा किया गया था।

1953 में स्टालिन की मृत्यु के बाद भारत-सोवियत संबंध एक नये चरण में प्रवेश कर गये। सोवियत नेताओं ने भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी के महत्व को पहचाना। जून 1955 में सोवियत प्रधान मंत्री निकोलाई बुल्गानिन और सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव निकिता ख्रुश्चेव के निमंत्रण पर नेहरू ने सोवियत संघ का दौरा किया। इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच संबंधों की मजबूत नींव रखी।

कैसे हैं दोनों देशों के रिश्ते?

भारत और रूस के बीच लंबे समय से मजबूत रक्षा संबंध रहे हैं और भारत ने रूस से विभिन्न प्रकार के हथियार और रक्षा प्रणालियों का आयात किया है। इसके अलावा भारत ने रूस से विभिन्न प्रकार के रडार और संचार उपकरण भी हासिल किए हैं, जो हमारी सेना की क्षमताओं को बढ़ाते हैं। इन सभी हथियारों और रक्षा प्रणालियों ने भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना की युद्ध क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रूस के साथ यह रक्षा सहयोग भारत की सामरिक सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

सुखोई Su-30MKI: भारतीय वायु सेना का प्रमुख लड़ाकू विमान है। इस विमान का निर्माण भारत में रूस के सहयोग से किया गया है।

मिग-29: यह एक मल्टीरोल फाइटर जेट है जिसका इस्तेमाल भारतीय वायु सेना और नौसेना दोनों द्वारा किया जाता है।

IL-76 और IL-78: ये परिवहन विमान और हवाई ईंधन भरने वाले टैंकर विमान हैं।

Mi-17: यह एक परिवहन हेलीकॉप्टर है जिसका उपयोग सैनिकों और आपूर्ति के परिवहन के लिए किया जाता है।

Ka-226T: यह एक हल्का मल्टीरोल हेलीकॉप्टर है जिसे भारत में निर्मित करने की योजना है।

टी-90: यह भारत का मुख्य युद्धक टैंक है जिसे रूस से खरीदा गया है और इसका निर्माण भारत में ही किया जा रहा है।

टी-72: यह भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक पुराना लेकिन महत्वपूर्ण युद्धक टैंक है।

आईएनएस विक्रमादित्य: यह विमानवाहक पोत रूस से खरीदा गया था।

किलो-श्रेणी की पनडुब्बियां: भारतीय नौसेना के पास कई किलो-श्रेणी की डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां हैं।

तलवार-क्लास फ्रिगेट्स: ये भारतीय नौसेना में निर्देशित मिसाइल फ्रिगेट्स हैं।

S-400 ट्रायम्फ: यह नवीनतम अत्याधुनिक विमान भेदी मिसाइल प्रणाली है जिसे भारत ने रूस से खरीदा है।

ब्रह्मोस: इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को रूस के सहयोग से विकसित किया गया है और इसका उपयोग भारतीय रक्षा बलों द्वारा किया जा रहा है।

स्मर्च ​​और ग्रैड एमएलआरएस: ये मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम हैं जो भारतीय सेना के पास हैं।

SA-3 पिकोरा और इग्ला: ये भारतीय सेना द्वारा उपयोग की जाने वाली वायु रक्षा प्रणालियाँ हैं।

रूस भारत से कौन से हथियार खरीदता है?

रूस भारत से अपेक्षाकृत कम हथियार खरीदता है। क्योंकि रूस स्वयं एक प्रमुख हथियार उत्पादक और हथियार निर्यातक है। लेकिन भारत और रूस के बीच तकनीकी और रक्षा सहयोग का आदान-प्रदान होता रहता है। रूस और भारत ने मिलकर ब्रह्मोस मिसाइल विकसित की है। यह दुनिया की सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइलों में से एक है और इसका उपयोग दोनों देशों के सशस्त्र बलों द्वारा किया जाता है। रूस ने इस परियोजना में भारत के तकनीकी योगदान को स्वीकार किया है और इसे अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने की संभावना भी देखता है। इसके अलावा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और रूसी रक्षा अनुसंधान संस्थान के बीच विभिन्न परियोजनाओं पर सहयोग है। इस सहयोग के तहत, दोनों देशों को एक-दूसरे की तकनीकी विशेषज्ञता से लाभ होता है।