गोविंद देवजी मंदिर मनाया गया रथ महोत्सव

जयपुर, 7 जुलाई (हि.स.)।राजधानी में रविवार को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा धूमधाम से निकाली गई। रविपुष्य नक्षत्र में एक साथ तीन अलग-अलग मंदिरों से रथयात्राओं का आयोजन किया गया। जिसके दर्शनों के लिए सैकड़ों की संख्या में भक्तगण मंदिर परिसर में उपस्थित हुए।

मंदिर प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि गर्भ मंदिर के पश्चिम द्वार से मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में विग्रह को चांदी के रथ पर विराजमान कर मंदिर की परिक्रमा करवाई गई। माध्वीय गौड़ीय सम्प्रदाय के वैष्णव वृंद, भजन मंडलियां रथ विराजमान होने के बाद पूरे हर्षोल्लास से निज मंदिर परिक्रमा में श्री हरिनाम संकीर्तन के साथ परिभ्रमण करवाया जाएगा।

सरस निंकुज,सुभाष चौक

सुभाष चौक पानो का दरीबा स्थित आचार्य पीठ श्री सरस निंकुज में पुष्प नक्षत्र पर रविवार को रथयात्रा महोत्सव का आयोजन बड़ी धूमधाम से किया गया। नित्य सेवा क्रम के साथ विशेष रुप से सुगंधित द्रव्यो,केसर युक्त यमुना जल से ठाकुरजी सरकार का पंचमृत अभिषेक किया गया। जिसके पश्चात ठाकुरजी महाराज को नवीन पोशाक धारण करवा कर मोती श्रृंगार किया गया। मंदिर परिसर में ऋतु पुष्पों से मनोरम झांकी सजाई गई। सुबह दस बजे श्रृंगार आरती के साथ ठाकुर श्री राधा सरस विहारी जू को निज मंदिर परिसर में ही रथ पर विराजमान करके पदावलियों का गायन किया गया।

शुक सम्प्रदाय पीठाधीश अलबेली माधुरी शरण महाराज ठाकुरजी की लाड़ सेवा करते हुए मधुर मिष्ठ भोग के साथ ऋतु फल अर्पित किया गया। श्री सरस परिकर के प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया ने बताया कि सुबह नौ से ग्यारह बजे तक आचार्य वाणीजी लीला चरित्र के सामुहिक पाठ का गायन किया गया।

मुरलीपुरा में भी निकाली गई जगन्नाथ रथयात्रा

मुरलीपुरा में स्थित गंगा जमुना कॉलोनी स्थित सीतामणी भवन से भी रविपुष्प नक्षत्र में जगन्नाथ महोत्सव के तहत रथयात्रा का आयोजन किया गया। सुबह ब्रह्म मुहूर्ते में ठाकुरजी को स्नान कराया गया। सुबह आठ बजे श्रृंगार झांकी सजाई गई। जिसके बाद नौ बजे विधि विधान से जगन्नाथ जी महाराज का पूजन किया गया। जिसके पश्चात रथयात्रा सुबह दस बजे गाजे-बाजे के साथ सीतामणी परिसर से रवाना की गई। श्रद्धालु ने भगवान के रथ को श्रद्धा के रस्से खींचा। जगह-जगह जगन्नाथ भगवान की आरती कर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। विभिन्न मार्गों से होते हुए रथयात्रा पुन: सीतामणी भवन पहुंची।