आयकर विभाग ने बच्चों द्वारा अर्जित आय पर कर चुकाने के नियम जारी किए हैं, यहां जानें विवरण

बच्चों की आय पर आयकर के नियम: भारत में बाल श्रम प्रतिबंधित है। लेकिन फिर भी ऐसे कई तरीके हैं जैसे कंटेंट क्रिएशन, टैलेंट शो आदि जिसके ज़रिए बच्चे कानूनी तौर पर पैसे कमा सकते हैं। कई बच्चे इस तरह से पैसे भी कमा रहे हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर टैक्स स्लैब के हिसाब से बच्चों की आय पर आयकर बनता है तो क्या इसका भुगतान बच्चों को करना होगा? जानिए इस बारे में आयकर विभाग का नियम क्या कहता है?

ये हैं वो तरीके जिनसे बच्चे कमाते हैं आय

नाबालिग की दो तरह की आय हो सकती है। पहली अर्जित आय, जो उसने खुद अर्जित की है और दूसरी वह आय जो उसने अर्जित नहीं की है लेकिन फिर भी उस पर मालिकाना हक बच्चे का होता है। अगर बच्चा किसी प्रतियोगिता या रियलिटी शो के ज़रिए, सोशल मीडिया के ज़रिए या किसी और तरह से कमाई करता है, तो उसे उसकी अर्जित आय माना जाता है। लेकिन अगर बच्चे को किसी से कोई संपत्ति, ज़मीन, जायदाद आदि उपहार में मिलती है, तो उसे उसकी अनर्जित आय माना जाता है। अगर माता-पिता बच्चे के नाम पर कोई निवेश करते हैं और उस पर मिलने वाला ब्याज भी बच्चे की अनर्जित आय माना जाता है।

कानून क्या कहता है

आयकर अधिनियम की धारा 64 (1A) में नाबालिग की आय से जुड़े नियम बताए गए हैं। नियम के अनुसार, अगर कोई नाबालिग कमाता है, तो उसे टैक्स नहीं देना पड़ता। उसकी आय उसके माता-पिता की आय में जोड़ दी जाती है। फिर माता-पिता को निर्धारित टैक्स स्लैब के अनुसार कुल आय पर आयकर देना होता है।

1500 रुपये तक की आय कर मुक्त है

धारा 10(32) के तहत, बच्चे की सालाना 1,500 रुपये तक की आय को कर से छूट दी गई है। इससे ज़्यादा की आय को धारा 64(1ए) के तहत माता-पिता की आय के साथ जोड़ दिया जाता है।

यदि माता-पिता दोनों कमाते हैं तो…

अगर माता और पिता दोनों कमाते हैं तो दोनों की उच्च आय वाली आय में बच्चे की आय को जोड़कर टैक्स की गणना की जाती है। अगर कोई नाबालिग लॉटरी में पैसा जीतता है तो उस पर सीधे 30 प्रतिशत टीडीएस कटेगा। फिर इस टीडीएस पर 10 प्रतिशत सरचार्ज लगेगा और 4 प्रतिशत सेस भी देना होगा।

तलाक की स्थिति में क्या होगा?

मान लीजिए अगर बच्चे के माता-पिता तलाकशुदा हैं, तो ऐसी स्थिति में बच्चे की आय उस माता-पिता की आय में जोड़ी जाती है जिसके पास बच्चे की कस्टडी है। इसके अलावा अगर बच्चा अनाथ है तो उसे खुद ही अपना आईटीआर दाखिल करना होगा। वहीं अगर बच्चा धारा 80यू में बताई गई किसी विकलांगता से पीड़ित है और विकलांगता 40 फीसदी से ज्यादा है तो उसकी आय माता-पिता की आय में नहीं जोड़ी जाएगी।