जगन्नाथ रथ यात्रा 2024: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पूरी दुनिया में मशहूर है. हर साल ओडिशा के पुरी में रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ की एक झलक पाने के लिए देश-विदेश से लाखों लोग इकट्ठा होते हैं।
पुरी की यात्रा के दौरान , भगवान श्री कृष्ण , उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा एक रथ पर सवार होकर शहर का भ्रमण करते हैं और अपने लोगों की भलाई के बारे में पूछते हैं।
जगन्नाथ रथ यात्रा 2024
भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथ पुरी से शुरू होती है और दशमी तिथि को समाप्त होती है। इस वर्ष जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई 2024 को शुरू होगी और 16 जुलाई 2024 को समाप्त होगी ।
जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व
स्कंद पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि जो रथयात्रा में श्रीजगन्नाथ का नाम जपते हुए गुंडिचा नगर तक जाता है , वह पुनर्जन्म के बंधन से मुक्त हो जाता है। जो व्यक्ति भगवान का नाम लेकर रथयात्रा में शामिल होता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। रथयात्रा में भाग लेने से संतान संबंधी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
गुंडिचा मंदिर का क्या महत्व है ?
रथयात्रा के दौरान गुंडिचा मंदिर का बहुत महत्व है। गुंडिचा मंदिर भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर है। इस दिन गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन को ‘ आड़प-दर्शन ‘ कहा जाता है । जिसमें भगवान को नारियल , मालपुआ , लाई , मग आदि का महाप्रसाद चढ़ाया जाता है। इसके बाद भगवान अपने घर यानी जगन्नाथ मंदिर लौट आते हैं।
पुरी रथ यात्रा का इतिहास
जगन्नाथ मंदिर पवित्र चार तीर्थस्थलों में से एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। जगन्नाथ रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ की गुंडिचा माता मंदिर की यात्रा का प्रतीक है। एक बार बहन सुभद्रा ने शहर देखने की इच्छा व्यक्त की , तो जगन्नाथजी ने उन्हें रथ पर बैठाया और पूरे शहर में घुमाया।
भगवान जगन्नाथ को भगवान विष्णु का एक रूप माना जाता है और वैष्णव धर्म के अनुयायियों द्वारा भी उनकी पूजा की जाती है। जगन्नाथ का शाब्दिक अर्थ है “विश्व का भगवान” , यानी, ब्रह्मांड का भगवान।