जम्मू, 5 जुलाई (हि.स.)। आषाढ़ अमावस्या के अवसर पर विशाल खत्री सभा ने उत्तरवेणी में 23वें भंडारे का आयोजन किया। इस दिन, भक्त पारंपरिक रूप से खुद को शुद्ध करने के लिए पवित्र जल निकायों में डुबकी लगाते हैं। वे अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने के लिए अनुष्ठान भी करते हैं। इसके अलावा, आषाढ़ अमावस्या भगवान विष्णु और भगवान शिव जैसे देवताओं की पूजा करने का एक शुभ अवसर है।
इस दिन के महत्व पर बोलते हुए विशाल खत्री सभा जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष देवेंद्र सेठ ने कहा कि यह दिन हिंदुओं के लिए पूर्वजों के सम्मान का विशेष महत्व रखता है। इसके तहत भक्त पितृ तर्पण, पिंड दान और दिवंगत आत्माओं की मुक्ति के लिए गायत्री पाठ का आयोजन सहित विभिन्न अनुष्ठान करते हैं।
सेठ ने कहा कि सनातन धर्म में दान की परंपरा सदियों से चली आ रही है। धार्मिक ग्रंथ और शास्त्र मानव जीवन के अभिन्न अंग के रूप में दान के महत्व पर जोर देते हैं। लोग मानसिक शांति, इच्छाओं की पूर्ति, पुण्य अर्जित करने, ग्रह दोषों को दूर करने और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष दिनों पर दान करते हैं।