बिहार में पुल टूटने का सिलसिला जारी है. किशनगंज में 27 जून से 30 जून के बीच लगातार 2 पुल गिरे. ऐसी ही एक घटना ठाकुरगंज के खोशी डांगी गांव में हुई, जहां 27 जून को भारी बारिश और उसके बाद नदी में पानी का प्रवाह बढ़ने से तत्कालीन सांसद तस्लीमुद्दीन की निधि से बने पुल के खंभे क्षतिग्रस्त हो गये. करीब 50 हजार लोग इससे प्रभावित हैं.
जानकारी के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों से बिहार में लगातार पुल टूटने की घटनाएं सामने आ रही हैं. अब इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है. विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि आपराधिक लापरवाही के कारण उत्तर बिहार के कई जिलों में एक दर्जन पुल ढह गए हैं। हालांकि अधिकारी लगातार दावा कर रहे हैं कि यह राज्य भर की नदियों में चलाए गए गाद हटाने के अभियान का नतीजा हो सकता है।
बिहार में पुल कब टूटे?
- 18 जून : अररिया
- 22 जून : सीवान
- 23 जून : पूर्वी चंपारण
- 27 जून : किशनगंज
- 28 जून:मधुबनी
- 1 जुलाई: मुजफ्फरपुर
- 3 जुलाई: सीवान में तीन और सारण में दो
- 4 जुलाई: सारण
बिहार के सारण जिले में बुधवार और गुरुवार को दो दिनों में तीन पुल ढह गये. इनमें से दो पुल गंडक नदी पर बुधवार को महज दो घंटे के अंतराल पर एक किलोमीटर की दूरी पर ध्वस्त हो गये. एक पुल जनता बाजार थाना क्षेत्र के दूधनाथ मंदिर के पास था, जिसका निर्माण 2004 में तत्कालीन विधायक धूमल सिंह की अनुशंसा पर हुआ था, जबकि दूसरा पुल ब्रिटिश काल का था. गुरुवार की सुबह सारण में तीसरा पुल ढह गया. सारण के गांवों को पड़ोसी सीवान जिले से जोड़ने वाले गंडकी नदी पर बने 15 साल पुराने पुल के ढहने से किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।