लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार तीसरे कार्यकाल में पीएम मोदी की कार्यशैली बदल सकती है. इससे पहले पीएम मोदी ने अपने दो कार्यकाल की तरह निर्भीक और स्पष्ट फैसले लेकर सरकार की मजबूत छवि बनाई. लेकिन इस बार सत्ता की चाबी नीतीश और नायडू के पास है. पीएम मोदी ने अब तक के तमाम दावों और रिपोर्ट्स को नजरअंदाज करते हुए लगातार तीसरी बार सरकार बना ली है.
विपक्ष स्पीकर पद पर बयान
उस वक्त विपक्ष लगातार स्पीकर पद को लेकर बयानबाजी कर रहा था. मांग की जा रही थी कि अगर सरकार उपसभापति का पद विपक्ष को सौंप देती है तो हम सर्वसम्मति से सभापति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार का चुनाव करेंगे. लेकिन विपक्ष का आरोप है कि उपसभापति के पद पर भी सरकार का कब्जा हो जाएगा. हालांकि, इस मामले में राजनाथ सिंह ने सफाई दी कि विपक्ष पहले उपसभापति पर फैसला लेना चाहता है, जो हमें मंजूर नहीं है.
प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर की जाती है
सांसदों को शपथ दिलाने और आवश्यक योग्यताओं को पूरा करने के लिए प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति की जाती है। विपक्ष का कहना था कि प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर की जाती है. लेकिन मोदी सरकार ने किसी की नहीं सुनी और ओडिशा से सात बार के सांसद भर्तिहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त कर दिया.
विपक्ष के संविधान बचाओ नारे को खारिज कर दिया
इतना ही नहीं, ओम बिड़ला के स्पीकर चुने जाने के बाद उन्होंने अपने संबोधन में आपातकाल का जिक्र करते हुए विपक्ष के संविधान बचाओ नारे को खारिज कर दिया. भाजपा ने इस मुद्दे को उठाकर संकट के काले अध्याय को देश की जनता के सामने लाकर कांग्रेस के घावों पर नमक छिड़कने का काम किया है।