विभागीय उत्पादों को बनाएं और बेहतर, इससे मांग बढ़ेगी तो कारीगरों को भी मिलेगा लाभ : राज्यमंत्री जायसवाल

भोपाल, 27 जून (हि.स.)। कुटीर एवं ग्रामोद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिलीप जायसवाल ने गुरुवार को मंत्रालय में विभागीय संचालित योजनाओं की गहन समीक्षा बैठक ली। राज्यमंत्री जायसवाल ने विभागीय गतिविधियों में और अधिक तेजी लाने के लिये अधिकारियों को पूरे मनोयोग एवं क्षमता से काम करने के निर्देश दिये।

उन्होंने कहा कि कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग सबसे कम लागत में सबसे अधिक लोगों को रोजगार दिलाने वाला विभाग है। इसके उत्पाद लोग पसंद करते हैं। लेकिन विभागीय उत्पादों को नई जनरेशन की मांग के अनुरूप और अधिक बेहतर व आकर्षक बनाया जाये, इससे उत्पादों की मांग बढ़ेगी और उत्पाद बनाने वाले कारीगर को भी सीधा लाभ मिलेगा। इसके लिये पुराने अनुभवों से सीख लेकर नये व नवाचारी तरीके अपनाये जायें। विभागीय उत्पादों की व्यापक स्तर पर मार्केटिंग की जाये और कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग के सभी उत्पाद एक ही छत के नीचे (एक ही कैंपस में) बेचने का प्रयास करें, इससे कम अमले में ज्यादा आउटपुट मिलेगा।

विभागीय बजट का शत-प्रतिशत उपयोग सुनिश्चित करें

जायसवाल ने कहा कि विभागीय बजट का शत-प्रतिशत सदुपयोग सुनिश्चित किया जाए। किसी भी सूरत में बजट लेप्स न होने पाए। विभागीय बजट के योजनानुसार समुचित उपयोग (हितग्राहीवार आवंटन) के लिये एक जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारी को यह दायित्व सौंपा जाए। यदि विभाग में भौतिक व मानव संसाधनों की कमी है, तो यथाशीघ्र इसकी पूर्ति कर ली जाए। उन्होंने बताया गया कि बहुत जल्द कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग में मप्र लोक सेवा आयोग के जरिये सहायक संचालकों की पदपूर्ति (नियुक्ति) होने वाली है। इससे विभाग में मानव संसाधन की कमी पूरी होगी।

संसाधनों की व्यवस्था करें, कारीगरों और हितग्राहियों को प्रशिक्षित करें, नये तरीकों से उत्पाद तैयार कराएं

राज्यमंत्री ने कहा कि विभागीय उत्पादों में गुणवत्ता लाकर विभाग को आगे बढ़ाने के लिये प्रयास करें। संसाधनों की व्यवस्था कर कारीगरों और विभागीय हितग्राहियों को प्रशिक्षित करें और उन्हें नये तरीकों से अपने उत्पाद तैयार करने के लिये कहें। जायसवाल ने कहा कि विभाग के जितने भी आउटलेटस् स्थापित हैं, उनमें उपलब्ध उत्पादों के प्रचार-प्रसार के अलावा अमले को भी प्रशिक्षित किया जाए। विभागीय लागत लाभ के साथ वापस आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुटीर ग्रामोद्योग के उत्पादों को नागरिकों से अच्छा प्रतिसाद मिले, इसके लिये हरसंभव उपाय किये जायें। भारत सरकार से भी कुटीर एवं ग्रामोद्योग के विकास के लिये फंड/अनुदान सहायता लेने के प्रयास किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी विभागीय अधिकारी आपसी संवाद हमेशा बनाये रखें, इससे विभागीय कार्यों में पारदर्शिता आयेगी और हितग्राही प्रकरणों के निराकरण में भी तेजी आयेगी।

विंध्या वैली की पानी बोतल का उपयोग हो

उन्होंने कहा कि सभी शासकीय बैठकों में विंध्या वैली द्वारा निर्मित पानी की बोतल का उपयोग किया जाए, इससे विंध्या वैली द्वारा निर्मित पानी के अलावा अन्य उत्पादों की मार्केटिंग के साथ-साथ विभागीय आय भी बढ़ेगी।

बैठक में अपर मुख्य सचिव, कुटीर एवं ग्रामोद्योग विनोद कुमार, आयुक्त रेशम मदन नागरगोजे, मप्र संत रविदास हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम के प्रबंध संचालक तथा आयुक्त, हस्तशिल्प एवं हाथकरघा मोहित बुंदस, उप सचिव कुटीर एवं ग्रामोद्योग ऋषि गर्ग, अवर सचिव जी.एस. आर्य सहित अन्य सभी विभागीय व जिलाधिकारी भी उपस्थित थे।