मंडला, 25 जून (हि.स.)। जिला पंचायत अध्यक्ष संजय कुशराम, नगर पालिका अध्यक्ष विनोद कछवाहा, कलेक्टर डॉ. सलोनी सिडाना एवं जिला पंचायत सीईओ श्रेयांश कूमट ने मंगलवार को दस्तक अभियान का शुभांरभ किया। आगामी 27 अगस्त 2024 तक संचालित होने वाले इस अभियान में बाल्यकालीन बीमारियों की पहचान एवं त्वरित उपचार, रेफरल का प्रबंधन किया जायेगा। दस्तक अभियान का प्रमुख उद्देश्य बाल मृत्यु प्रकरणों में कमी लाना है।
इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष संजय कुशराम ने कहा कि नौनिहालों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। इसी क्रम में दस्तक अभियान संचालित किया जा रहा है। उन्होंने अभियान में सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित करते हुए इसे जन अभियान बनाने का आव्हान किया। नगरपालिका अध्यक्ष विनोद कछवाहा ने सर्वे दल के सदस्यों से आग्रह किया कि वे गंभीरतापूर्वक प्रत्येक घर जाकर प्रत्येक बच्चे की जांच करते हुए आवश्यक कार्यवाही करें। इस अवसर पर कलेक्टर डॉ. सलोनी सिडाना ने कहा कि दस्तक अभियान के दौरान जन्म से 5 वर्ष तक के बच्चों को घर-घर जाकर निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण, आवश्यक जाँच तथा उपचार की व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएंगी।
ओआरएस जीवनदायक है
कलेक्टर डॉ. सलोनी सिडाना ने कार्यक्रम में उपस्थित कुपोषित बच्चों तथा उनके माताओं से चर्चा करते हुए स्वास्थ्य सुविधाओं के संबंध में फीडबैक प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि पेयजल की स्वच्छता नितांत आवश्यक है, यथासंभव पानी को उबालकर पिएं। दस्त होने की स्थिति में ओआरएस जीवनदायक साबित होता है। पानी के साथ ओआरएस का घोल पिएं। दस्त बढ़ने की स्थिति में तत्काल निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर उपचार प्राप्त करें। उन्होंने उपस्थित महिलाओं को सिकलसेल एनीमिया के लक्षण, प्रभाव तथा उपचार के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।
जन्म से 5 वर्ष तक के बच्चों की होगी जाँच
दस्तक अभियान के प्रथम चरण के दौरान स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग के मैदानी कार्यकर्ता के संयुक्त दल द्वारा जन्म से 5 वर्ष तक के बच्चों के घर-घर जाकर, उनकी चिकित्सीय जांच एवं आवश्यक उपचार, प्रबंधन सुनिश्चित करने हेतु अनेक गतिविधियां की जायेंगी जिसमें 5 वर्ष से कम उम्र के गंभीर कुपोषित बच्चों की सक्रिय पहचान रेफरल एवं प्रबंधन, समुदाय में बीमार नवजातों और बच्चों की पहचान, प्रबंधन एवं रेफरल आदि कार्यवाही की जाएगी। अभियान के दौरान 6 माह से 5 वर्ष के बच्चों में एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग एवं प्रोटोकॉल आधारित प्रबंधन, 9 माह से 5 वर्ष के समस्त बच्चों को आयु अनुरूप विटामिन ए अनुपूरण, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में बाल्यकालीन दस्त रोग की पहचान एवं नियंत्रण हेतु ओआरएस एवं जिंक के उपयोग संबंधी सामुदायिक जागरूकता में बढ़ावा देते हुए प्रत्येक घर में गृह भेंट के दौरान ओआरएस प्रदान किया जाएगा।
जन्मजात विकृतियों की होगी पहचान
पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में शैशव एवं बाल्यकालीन निमोनिया की त्वरित पहचान, प्रबंधन एवं रेफरल, बच्चों में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृतियों एवं वृद्धि विलंब की पहचान एवं उनका आरबीएसके कार्यक्रम से संबंद्धीकरण किया जाएगा। इसी प्रकार 5 वर्ष तक के आयु वाले बच्चों में श्रवण बाधित एवं दृष्टिदोष की पहचान, पुष्टि कर आरबीएसके कार्यक्रम में पंजीयन कर उपचारित करने के साथ ही समुदाय में समुचित शिशु एवं बाल आहार पूर्ति संबंधी समझाईश दी जाएगी।