विभिन्न मांगों को लेकर अशासकीय माध्यमिक शिक्षक संघ का धरना

देहरादून, 24 जून (हि.स.)। अशासकीय माध्यमिक शिक्षक संघ उत्तराखंड की ओर से अशासकीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक कर्मचारियों की लंबित विभिन्न मांगों को लेकर घोषित आंदोलन के प्रथम चरण में सोमवार को धरना प्रदर्शन किया गया।

प्रांतीय सरंक्षक प्रदीप डबराल व जयप्रकाश बहुगुणा ने कहा कि सरकार एवं विभाग अशासकीय विद्यालयों की उपेक्षा कर रहे हैं। इस कारण संगठन को आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

प्रांतीय अध्यक्ष संजय बिजल्वाण एवं प्रांतीय महामंत्री महादेव मैठाणी ने कहा कि अशासकीय विद्यालयों व शिक्षक कर्मचारियों के साथ लगातार सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। माध्यमिक शिक्षा एवं प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को कई बार मांग पत्र सौंपे गए, लेकिन आज तक उन पर कोई संतोषजनक कार्यवायी नहीं हुई। वर्षों से हो रही जीपीएफ कटौती को बंद कर एनपीएस कटौती के फरमान जारी किए जा रहे हैं। वर्षों पुरानी तदर्थ सेवाओं का लाभ नहीं दिया जा रहा है। तदर्थ शिक्षकों का विनियमितीकरण के प्रकरण वर्षों से लंबित हैं। वर्षों से मानदेय में कार्यरत शिक्षकों को तदर्थ किए जाने की प्रक्रिया में कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। उच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद वित्त विहीन सेवाओं को जोड़कर जीपीएफ कटौती प्रारंभ नहीं की जा रही है। शिक्षक कर्मचारियों को चयन एवं प्रोन्नत वेतनमान के लिए न्यायालय की शरण में जाना पड़ रहा है। जनपद टिहरी गढ़वाल एवं रुद्रप्रयाग में अनावश्यक गत छह माह से शिक्षकों का वेतन रोका गया है। मांगों पर विचार नहीं किया गया तो संगठन बड़े आंदोलन को मजबूर होगा।

महानिदेशक शिक्षा ने शिक्षकों की मांगों पर दी सहमति

इस बीच महानिदेशक शिक्षा ने आंदोलनरत शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता की और बिंदुवार शिक्षकों की मांगें सुनीं और अपनी सहमति व्यक्त की। संयुक्त निदेशक माध्यमिक शिक्षा पदमेंद्र सकलानी को संगठन के पदाधिकारियों से विस्तारपूर्वक वार्ता कर समाधान करने के लिए निर्देशित किया।