शिमला, 24 जून (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में लागू ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) पर 16वां वितायोग अपनी नज़रें गढ़ाए हुए है। 16वें वित्त आयोग की टीम सोमवार को तीन दिवसीय दौरे पर शिमला पहुंची। वित्त आयोग की टीम ने सरकार के साथ सोमवार को राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ में बैठक की जिसमें सीएम सुक्खू भी मौजूद रहे। इस दौरान प्रदेश सरकार ने प्रदेश की वित्तीय स्थिति आयोग से सांझा की और लगातार बढ़ रहे राजस्व घाटे को देखते हुए सरकार ने वित्त आयोग के समक्ष राज्य के हितों की पैरवी की ताकि नया वित्त आयोग केंद्र के समक्ष ग्रांट को बढ़ाने की सिफारिश कर पाए।
राज्य सरकार से बैठक के बाद आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने बताया कि हिमाचल की भौगौलिक परिस्थितियां अन्य राज्यों से भिन्न है। आपदाएं यहां समस्याएं और अधिक बढ़ा देती हैं। ऐसे राज्यों में धन की अधिक आवश्यकता होती है। अभी हिमाचल सरकार ने अपनी बात रख दी है। सभी प्रदेशों से राय और चर्चा करने के बाद आयोग अपनी सिफारशे देगा।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने ओपीएस लागू की है, जिससे वित्तीय स्थिति पर असर हुआ है और इस पर भी देखा जायेगा तथा उसके बाद ही ग्रांट पर निर्णय होगा। उनका कहना है कि मुफ़्त रबड़ीयों के बांटने को लेकर भी आयोग चिंतन करेगा और विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर राज्यों की हिस्सेदारी तय होगी।
हिमाचल की भौगौलिक स्थिति को ध्यान में रखकर अपनी सिफारशें दें वित्त आयोग : सीएम सुक्खू
शिमला में हुई 16वें वित्त आयोग की टीम के साथ बैठक के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार ने वित्त आयोग के सामने राज्य की वित्तीय स्थिति रखी है। प्रदेश को कर्ज को चुकाने के लिए और कर्ज़ लेना पड़ रहा है। हिमाचल अपनी आय बढ़ाने के लिए अगर पानी पर सेस लगाता है तो उस पर न्यायालय द्वारा रोक लगा दी जाती है। हिमाचल ने अपनी 68 फीसदी वन भूमि पर कटान पर भी रोक लगा रखी है उसे भी ध्यान में रख कर वित्त आयोग हिमाचल के हित में अपनी सिफारशे दें। प्रदेश की भौगौलिक स्थिति और मैदानी राज्यों से अलग है इसलिए हिमाचल का खासा ध्यान रखा जाए।