आम को फलों का राजा कहा जाता है। यह एक मौसमी फल है, यही वजह है कि लोग गर्मियों में आम का इंतज़ार करते हैं। लेकिन जिस फल को आप बड़े स्वाद से खा रहे हैं वो बाजार में ‘नकली’ मिल रहा है.
रसीले आमों की मिठास में जहर मिलाकर उन्हें और भी मीठा बनाया जा रहा है। ये नकली सामान आम आदमी की सेहत पर बहुत बुरा असर डाल रहे हैं.
दरअसल, बाजारों में कई व्यापारी आम की फसल से अधिकतम लाभ पाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड की मदद से आम को जल्दी पकाते हैं। कृत्रिम रूप से पकाए गए इन आमों को ‘नकली’ आम कहा जाता है। दरअसल, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने कार्बाइड से फल पकाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।
लेकिन देश की कई मंडियों और बाजारों में कैल्शियम कार्बाइड पाउडर रखकर आम पकाया जा रहा है. दूसरे शब्दों में कहें तो जिन मौसमी फलों को आप स्वास्थ्य लाभ के तौर पर खा रहे हैं, वे आपके लिए ‘मीठा जहर’ हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसे कृत्रिम या कृत्रिम रूप से पकाए गए फल खाने से लिवर, किडनी या कोलन कैंसर होने की संभावना रहती है। कैंसर विशेषज्ञों के अनुसार फलों का पकना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से फल अपना स्वाद, गुणवत्ता, रंग और प्रकृति तथा अन्य गुण प्राप्त करते हैं। प्राकृतिक रूप से पका हुआ आम न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। लेकिन आम पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग किया जाता है, जो वेल्डिंग के दौरान निकलता है।
यदि आम को कार्बाइड की टोकरी में पकाया जाता है, तो इसका गूदा अंदर से अधिक पका होता है, जबकि बाहर से अधपका होता है। इसके अलावा अगर आम की गुठली ज्यादा पक गई है तो इसका मतलब यह भी है कि आम को कार्बाइड से पकाया गया है.