महास्नान के बाद एकांतवास में गए भगवान श्री जगन्नाथ स्वामी

खूंटी, 22 जून (हि.स.)। भगवान श्री जगन्नाथ स्वामी ज्येष्ठ पूर्णिमा पर महास्नान के बाद भाई बदभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रपन्द्रह दिनों के लिए एकांतवास में चले गये। सात जुलाई रथयात्रा के दिन प्रभु भक्तों को दर्शन देगें। तोरपा के कोटेंगसेरा स्थित श्रीजगन्नाथ मंदिर में विधि-विधान के साथ महास्नान अनुष्ठान संपन्न कराया गया। सुबह में कारो नदी से कलश में भरकर जल लाया गया। दूध,जल व सुगंधित द्रव्य से भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के विग्रहों का स्नान कराया गया और महाआरती की गयी। दोपहर में भोग के बाद प्रसाद का वितरण किया गया। संध्या आरती के बाद मंदिर का पट बंद कर दिया गया। रथयात्रा के एक दिन पूर्व नेत्र अनुष्ठान के बाद मंदिर का पट खुलेगा। अनुष्ठान श्रीपाद मंगल निलय दास प्रभु ने संपन्न कराया।

संकीर्तन यात्रा निकाली गयी सुबह में संकीर्तन यात्रा निकाली गयी। महिलाएं माथे पर कलश लेकर यात्रा में शामिल हुई। संकीर्तन यात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर कारो नदी पहुंची। वहां कलश में नदी का पवित्र जल भरा गया। संकीर्तन करते हुए श्रद्धालु वापस मंदिर पहुंचे।

स्नान करने से बीमार पड गये जगन्नाथ प्रभु, जडी बुटी से होगा इलाज

श्रीपाद निलय दास प्रभु ने बताया कि जगत नियंता भगवान श्री जगन्नाथ महास्नान के बाद बीमार पड जाते हैं। 15 दिनों तक भगवान एकांतवास में रहेगें। पन्द्रह दिनों तक उनका इलाज ठीक उसी तरह से किया जाता है,जैसे आम लोगों का किया जाता है। भगवान को आयुर्वेदिक जडी बूटियों और काढे का भोग लगाया जाता है। स्वस्थ होने के बाद नेत्र अनुष्ठान के दिन भगवान गर्भगृह में विराजेगें। रथयात्रा के दिन भक्तों को दर्शन देने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर निकलेंगे।