अगर आप अपनी फिटनेस बढ़ाना चाहते हैं लेकिन जिम जाने के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं, तो आपके लिए खुशखबरी है! यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स एमहर्स्ट के एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि अपने चलने के तरीके में थोड़ा बदलाव करके आप अपनी कैलोरी बर्न करने की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं।
अध्ययन के अनुसार, रोजाना टहलने के दौरान असमान लंबाई के कदम उठाने से शरीर का मेटाबॉलिज्म तेज होता है, जिससे अधिक कैलोरी बर्न होती है। यह उन लोगों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है जो अपनी दिनचर्या में आसान बदलाव करके फिटनेस हासिल करना चाहते हैं।
डेली मेल में प्रकाशित इस शोध में वॉकिंग के दौरान शरीर में होने वाले बदलावों और असमान कदमों से कैलोरी बर्न पर पड़ने वाले असर का अध्ययन किया गया। नतीजे बताते हैं कि वॉकिंग पैटर्न में थोड़ा बदलाव करके आप बराबर लंबाई के कदमों की तुलना में ज़्यादा कैलोरी बर्न कर सकते हैं। यह खबर उन लोगों के लिए बड़ी राहत की बात है जिनके पास अपनी व्यस्त जीवनशैली में अलग से एक्सरसाइज करने का समय नहीं है। अपनी रोज़ाना की वॉक में बस असमान लंबाई के कदम उठाकर वे बिना किसी अतिरिक्त समय के अपनी फिटनेस को बेहतर बना सकते हैं।
अध्ययन के मुख्य लेखक एडम ग्रिमिट ने कहा कि यह मानना सही होगा कि चलते समय कदमों की लंबाई में जितना अधिक बदलाव होगा, मेटाबॉलिज्म उतना ही तेज होगा, जिससे कैलोरी बर्न होने की मात्रा बढ़ेगी। डॉ. ग्रिमिट के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने मेटाबॉलिज्म पर कदमों की लंबाई में बदलाव के प्रभाव का अध्ययन किया। इसमें 18 स्वस्थ, 24 वर्षीय वयस्क शामिल थे, जिनका औसत वजन 155 पाउंड था। प्रतिभागियों को पहले 5 मिनट तक अपने सामान्य कदमों के साथ ट्रेडमिल पर चलने के लिए कहा गया।
इसके बाद प्रतिभागियों को उनके सामान्य कदमों से 5% से 10% छोटे या बड़े कदम उठाकर चलने को कहा गया। इस दौरान शोधकर्ताओं ने कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को मापा, जिसे व्यायाम की तीव्रता का सूचक माना जाता है। अध्ययन का मुख्य निष्कर्ष यह था कि कदम की लंबाई (2.7%) में थोड़ा सा भी बदलाव मेटाबॉलिज्म (1.7%) में उल्लेखनीय वृद्धि का कारण बना।
शोधकर्ताओं ने कहा कि कदमों की लंबाई बदलने से चलने में खर्च होने वाली ऊर्जा की मात्रा थोड़ी बढ़ जाती है, लेकिन यह फिटनेस के लिए बहुत ज़रूरी है। अब शोधकर्ता इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि यह नई जानकारी वृद्ध लोगों के लिए कैसे फ़ायदेमंद हो सकती है, ख़ास तौर पर कैलोरी बर्न से ज़्यादा ऊर्जा संरक्षण के लिए। भविष्य के अध्ययन वर्चुअल प्रोजेक्शन के आधार पर पैर की स्थिति और मांसपेशियों की गतिविधि की सटीकता को मापेंगे।