अब रक्त परीक्षण के जरिए दुर्लभ मनोभ्रंश और तंत्रिका संबंधी बीमारियों का पता लगाना संभव होगा!

जर्मन सेंटर फॉर न्यूरोडीजेनेरेटिव डिजीज (डीजेडएनई) के वैज्ञानिकों ने रक्त परीक्षण के माध्यम से दुर्लभ मनोभ्रंश और अन्य तंत्रिका संबंधी रोगों का पता लगाने का एक नया तरीका खोजा है।

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जर्मन सेंटर फॉर न्यूरोडीजेनेरेटिव डिजीज (DZNE) के वैज्ञानिकों ने रक्त परीक्षण के माध्यम से दुर्लभ मनोभ्रंश और अन्य तंत्रिका संबंधी बीमारियों का पता लगाने का एक नया तरीका खोजा है। यह अध्ययन मनोभ्रंश और तंत्रिका संबंधी बीमारी का पता लगाने में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।

अध्ययन में 991 वयस्क शामिल थे। उनमें से कुछ को फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया (FTD), एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (ALS) और प्रोग्रेसिव सुप्रान्यूक्लियर पाल्सी (PSP) जैसी दुर्लभ बीमारियाँ थीं। ये बीमारियाँ डिमेंशिया, व्यवहार संबंधी लक्षण, मांसपेशियों की कमज़ोरी और अकड़न, चलने-फिरने की समस्या और अन्य गंभीर कमज़ोरियों से जुड़ी हैं। शोधकर्ताओं ने रक्त के नमूनों में ताऊ और टीडीपी-43 नामक प्रोटीन की मात्रा मापी। ये प्रोटीन मस्तिष्क में असामान्य रूप से जमा हो जाते हैं, जिससे FTD, ALS और PSP जैसी बीमारियाँ होती हैं। अध्ययन के नतीजों से पता चला है कि रक्त परीक्षण के ज़रिए इन बीमारियों का सटीक पता लगाया जा सकता है।

 

 

 

यह नई विधि पारंपरिक निदान विधियों की तुलना में कम जटिल और कम खर्चीली है। परंपरागत रूप से, इन बीमारियों के निदान के लिए पीईटी स्कैन या स्पाइनल टैप जैसी जटिल और महंगी प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है। अध्ययन के प्रमुख लेखक प्रोफेसर क्लॉस लाहे का कहना है कि यह शोध मनोभ्रंश और तंत्रिका संबंधी बीमारियों के शुरुआती निदान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। रक्त परीक्षण एक आसान और सस्ती विधि है जो डॉक्टरों को जल्दी और प्रभावी ढंग से उपचार शुरू करने में मदद करेगी।

हालाँकि, यह शोध अभी भी अपने शुरुआती चरण में है और भविष्य में और अधिक अध्ययनों की आवश्यकता है। फिर भी, ये निष्कर्ष काफी आशाजनक हैं और मनोभ्रंश और तंत्रिका संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए बेहतर निदान और उपचार का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।