प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन अपडेट: हरियाणा सरकार ने राजस्व विभाग के जमीन के कलेक्टर रेट बढ़ाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। राजस्व विभाग कलेक्टर रेट में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी करना चाहता था। लेकिन, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इसके पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने साफ निर्देश दिए हैं कि हरियाणा में जमीन की रजिस्ट्री पुराने कलेक्टर रेट पर ही होगी। हरियाणा में मार्च के बाद अप्रैल में संशोधित कलेक्टर रेट लागू किए जाते हैं। इस बार लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लगी हुई थी। इस वजह से नए कलेक्टर रेट लागू नहीं हो पाए।
आचार संहिता हटते ही जिलों से संशोधित कलेक्टर रेट के प्रस्ताव राजस्व विभाग को भेजे गए थे। जब यह फाइल मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के पास पहुंची तो उन्होंने विभाग को यह फाइल वापस लौटा दी और प्रदेश के सभी जिलों में जमीनों की रजिस्ट्री पुराने रेट पर ही करने के आदेश दिए। प्रदेश के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने अपने कार्यकाल में निर्देश दिए थे कि कलेक्टर रेट बढ़ाने से पहले जिलों में प्रॉपर्टी के दामों का सही तरीके से पता लगा लिया जाए।
इसमें 20% तक की वृद्धि का प्रस्ताव था
हरियाणा में राजस्व विभाग ने इस बार कलेक्टर रेट में 10 से 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था। कलेक्टर रेट बढ़ाने के सबसे ज्यादा प्रस्ताव एनसीआर के अंतर्गत आने वाले जिलों से आए थे। इनमें रोहतक, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, बहादुरगढ़, सोनीपत, करनाल, पानीपत जिले शामिल हैं। यहां के जिला प्रशासन ने कलेक्टर रेट में 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी के प्रस्ताव भेजे थे।
क्या होता है
जमीन की खरीद-फरोख्त के लिए कलेक्टर रेट बहुत महत्वपूर्ण होता है। कलेक्टर रेट के आधार पर ही रजिस्ट्रेशन फीस ली जाती है। सरकार हर गांव, शहर और जिले में जमीन के लिए कलेक्टर रेट तय करती है। कलेक्टर रेट से कम पर जमीन की रजिस्ट्री नहीं होती। जिला प्रशासन अलग-अलग जगहों पर स्थिति और मार्केट रिसर्च का अध्ययन करने के बाद ही जिले की जमीन के लिए कलेक्टर रेट तय करता है और अपना प्रस्ताव राजस्व विभाग को भेजता है। राज्य सरकार की मंजूरी के बाद कलेक्टर रेट तय होता है।