गुजरात में सिकल सेल एनीमिया नियंत्रण के तहत 1 करोड़ लोगों से अधिक की स्क्रीनिंग

गांधीनगर, 18 जून (हि.स.)। सिकल सेल एनीमिया एक अनुवांशिक रक्त विकार है, जो मुख्य रूप से आदिवासी समुदाय को प्रभावित करता है। दुनिया भर में इस बीमारी को लेकर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से 19 जून को विश्व सिकल सेल दिवस मनाया जाता है। गुजरात में सिकल सेल की बीमारी मुख्य रूप से अंबाजी से लेकर उमरगाम तक के पट्टे में बसे आदिवासी समुदाय में पाई जाती है, जिसमें अरवल्ली, बनासकांठा, साबरकांठा, भरूच, छोटा उदेपुर, दाहोद, महीसागर, पंचमहाल, नर्मदा, सूरत, तापी, नवसारी, डांग और वलसाड सहित 14 जिले शामिल हैं।

अपने मुख्यमंत्रित्व काल में नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2006 में गुजरात में सिकल सेल एनीमिया के मरीजों की संख्या में कमी लाने और इस रोग पर नियंत्रण के लिए ‘सिकल सेल एनीमिया नियंत्रण’ कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। यह कार्यक्रम शुरू करने वाला गुजरात देश का पहला राज्य था। इस कार्यक्रम के तहत अब तक 1 करोड़ से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। पिछले पांच वर्षों में ही कुल 17,69,863 लोगों की स्क्रीनिंग की गई है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009-10 में तत्कालीन केन्द्र सरकार ने गुजरात के सिकल सेल एनीमिया नियंत्रण कार्यक्रम को पुरस्कृत किया था।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने विशेषकर आदिवासी समुदाय में पाई जाने वाली इस बीमारी के उन्मूलन पर विशेष ध्यान दिया है। सरकार ने जागरूकता अभियान को तेज बनाने के साथ ही निदान एवं उपचार व्यवस्था तथा दवाइयों की उपलब्धता पर जोर दिया है।

राज्य सरकार ने सामूहिक स्क्रीनिंग कार्यक्रम का आयोजन करने के साथ ही विवाह से पूर्व जेनेटिक काउंसलिंग और टेस्टिंग पर जोर दिया है। साथ ही, राज्य सरकार ने इस बीमारी को लेकर बड़े पैमाने पर जनजागरूकता अभियान और कम्युनिटी आउटरीच प्रोग्राम्स का भी आयोजन किया है। इतना ही नहीं, सिकल सेल काउंसलर द्वारा आदिवासी जिलों में रहने वाले लोगों में इस रोग का निदान किया जाता है, ताकि आने वाली पीढ़ी में इस वंशानुगत रोग को फैलने से रोका जा सके। इसके लिए प्राथमिक जांच के रूप में लाभार्थी का डीटीटी टेस्ट (टर्बिडिटी टेस्ट) किया जाता है, और बाद में सटीक निदान के लिए हाई परफॉर्मेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी (एचपीएलसी) टेस्ट किया जाता है। राज्य सरकार ने दक्षिण गुजरात के वलसाड और डांग जिले में सिकल सेल समर्पित डे केयर सेंटर भी खोला है।

राज्य सरकार द्वारा सिकल सेल मरीजों को विकलांगता का प्रमाणपत्र भी दिया जाता है, ताकि वे सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ उठा सकें। आवश्यक दवाइयां एवं उपचार सुविधा सुनिश्चित करने के साथ ही इस वर्ष 2024-25 से राज्य सरकार द्वारा 6 लाख रुपए तक की वार्षिक आय वाले परिवार के मरीजों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को प्रति माह 500 रुपए से बढ़ाकर अब 2500 रुपए कर दिया है।

पीएम का 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को समाप्त करने का लक्ष्य

प्रधानमंत्री मोदी ने 1 जुलाई, 2023 को मध्य प्रदेश के शहडोल जिले से राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन 2047 का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सरकार वर्ष 2047 में भारत के अमृत काल का उत्सव मनाने से पहले इस बीमारी को समाप्त करने के प्रति वचनबद्ध है। इस मिशन का लक्ष्य गुजरात सहित देश भर के 17 उच्च जोखिम वाले राज्यों में 0-40 आयु वर्ग के लगभग 7 करोड़ लोगों की जांच करना है। सरकार इस बीमारी का उपचार भी मुहैया करवाएगी।

क्या है सिकल सेल एनीमिया

सिकल सेल एनीमिया रक्त से जुड़ा एक अनुवांशिक विकार है। आम तौर पर लाल रक्त कोशिकाएं गोल और लचीली होती है, लेकिन इस बीमारी की स्थिति में लाल रक्त कोशिकाओं का आकार बदलकर अंग्रेजी के अक्षर ‘सी’ (सिकल या हंसिया) के समान हो जाता है, साथ ही ये कोशिकाएं एक साथ चिपक जाती हैं, जिससे रक्त प्रवाह और ऑक्सीजन शरीर के सभी अंगों तक सही ढंग से नहीं पहुंच पाता है। नतीजतन, रोगी को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

सिकल सेल के लक्षण

शरीर कमजोर हो जाना, लगातार बुखार आना और पीलिया होना, जोड़ों और हड्डियों में सूजन आना, पेट में दर्द होना, गर्भवती महिलाओं में गर्भपात होने की संभावना और संक्रामक रोगों विशेषकर फेफड़े की बीमारियों का आसानी से शिकार बनना इसके मुख्य लक्षण हैं।

बरतें ये सावधानियां

सिकल सेल के मरीजों को नियमित रूप से अस्पताल जाकर डॉक्टर से जांच करवाने के अलावा दिन में कम से कम 10-15 ग्लास पानी पीना, पर्याप्त आराम करना और तनाव मुक्त रहना, शराब एवं नशीले पदार्थों के सेवन तथा धूम्रपान से बचना, ज्यादा ऊंचाई वाले स्थान पर नहीं जाना, अत्यधिक ठंड से बचना, ज्यादा शारीरिक श्रम नहीं करना और तेज धूप में बाहर नहीं निकलना जैसी सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।

सिकल सेल बीमारी को लेकर लोगों में जागरूकता की आवश्यकता है। चूंकि सिकल सेल एक वंशानुगत बीमारी है जो माता-पिता से संतान तक पहुंचती है, इसलिए यदि विवाह से पहले युवक-युवती सिकल सेल की जांच करा लें तो इसकी रोकथाम संभव है। सरकार भी इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए जांच और जागरूकता की रणनीति के साथ सिकल सेल के उन्मूलन का प्रयास कर रही है।