नई दिल्ली, 13 जून (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली जल संकट विवाद से किनारा कर लिया है। कोर्ट ने कहा कि राज्यों के बीच यमुना जल के बंटवारे से संबंधित मुद्दा एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है। सुप्रीम कोर्ट के पास फॉर्मूला तय करने की विशेषज्ञता नहीं है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वे आज शाम पांच बजे तक अपर यमुना रिवर बोर्ड के समक्ष अपनी मांग रखे।
कोर्ट ने अपर यमुना रिवर बोर्ड को निर्देश दिया कि वो दिल्ली सरकार का आवेदन मिलने के बाद कल शाम बैठक कर इस मामले को जितना जल्द हो सके सुलझाएं। अगर जरूरत पड़ी तो अपर यमुना रिवर बोर्ड रोजाना बैठक कर सकती है।
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में कहा है कि वो टैंकर माफिया के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती, क्योंकि टैंकर माफिया यमुना के दूसरे किनारे से पानी ले रहे हैं जो हरियाणा में पड़ता है। दिल्ली सरकार ने कहा है कि अदालत इस मामले में हरियाणा से पूछे कि कार्रवाई क्यों नहीं की गई। दरअसल, 12 जून को सुप्रीम कोर्ट ने पानी की बर्बादी और टैंकर माफिया को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी।
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने दिल्ली सरकार से कहा था कि अगर टैंकर माफिया के खिलाफ आप कार्रवाई नहीं कर रहे हैं तो हम दिल्ली पुलिस को आदेश देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को हलफनामा दाखिल कर ये बताने को कहा है कि पानी की बर्बादी रोकने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं।
दिल्ली सरकार की याचिका में दिल्ली में पानी की किल्लत को देखते हुए हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से एक महीने के लिए अतिरिक्त पानी दिए जाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। दिल्ली सरकार ने भीषण गर्मी का हवाला देते हुए कहा था कि दिल्ली की पानी की जरूरत बढ़ गई है। ऐसे में देश की राजधानी में पानी की जरूरत पूरा करना सबकी जिम्मेदारी है। इसलिए सीमावर्ती राज्य अतिरिक्त पानी दिल्ली को दें।