लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी यूपी में हार गई: लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में मिले बड़े झटके से बीजेपी चिंतित है. केंद्र में मोदी 3.0 की सरकार होने के बावजूद बीजेपी उत्तर प्रदेश में पार्टी के निचले ग्राफ के पीछे की वजह तलाश रही है. प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और महासचिव संगठन धर्मपाल ने बुधवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में वोटों में गिरावट पर चर्चा की और गिरावट के कारणों का पता लगाने का निर्णय लिया.
उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी नेतृत्व में स्थानीय से लेकर दिग्गज नेताओं तक हलचल मच गई है. पिछले चुनाव की तुलना में इस बार बीजेपी को मिलने वाले वोटों की संख्या में 9 फीसदी की कमी आई है. जिसके लिए पार्टी नेताओं की एक टास्क फोर्स भी बनाई गई है.
टास्कफोर्स का गठन
उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में जहां बीजेपी के वोट घटे हैं. इसके पीछे की वजह जानने के लिए एक टास्क फोर्स बनाने का फैसला किया गया है. इसमें संगठन के पदाधिकारियों के अलावा स्थानीय जन प्रतिनिधि शामिल होंगे. जिसके लिए 60 से अधिक सदस्यों का चयन किया गया है. वह हार के कारणों का पता लगाएंगे और लोकसभा की जो सीटें भाजपा को हारी हैं। वे गांव-गांव जाकर यह पता लगाएंगे कि किस पार्टी ने ओबीसी और दलितों, जो भाजपा के मूल मतदाता हैं, के बीच विभाजन पैदा किया है।
अयोध्या में राम मंदिर चुनाव का अहम मुद्दा है
हालांकि चुनाव प्रचार में अयोध्या में राम मंदिर एक अहम मुद्दा रहा है, लेकिन अयोध्या में ही बीजेपी की हार ने पार्टी को सदमे में डाल दिया है. गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलितों को बीजेपी से हटाने में कौन शामिल है? वह पार्टी के हर क्षेत्र के नेताओं से मुलाकात कर यह जानने की कोशिश भी करेंगे. केंद्र में भले ही बीजेपी ने सरकार बना ली हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में उसे कितना नुकसान हुआ, ये जानना बेहद जरूरी है.
मुख्यमंत्री के साथ बैठक भी की
सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में बीजेपी की हार को लेकर सरकार और संगठन के बीच शुरुआती चर्चा शुरू हो गई है. सबसे पहले वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलेंगे और संगठन के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक कर इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे.