नई दिल्ली: दिल्ली में रिठाला से कुंडली तक लंबे समय से प्रस्तावित मेट्रो रेल लाइन को जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है। वित्त मंत्रालय के अधीन काम करने वाले पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड ने इस लाइन को अपनी मंजूरी दे दी है। बोर्ड की मंजूरी मिलने के बाद एक तरह से इस लाइन को वित्तीय मंजूरी मिल गई है। अब उम्मीद है कि इस लाइन को जल्द ही केंद्र सरकार की कैबिनेट से भी मंजूरी मिल सकती है।
चौथे चरण में बन सकती है यह मेट्रो लाइन
इस लाइन को चौथे चरण के लिए प्रस्तावित किया गया था। तब से यह लाइन विचाराधीन है। अगर कैबिनेट इस लाइन को भी मंजूरी दे देती है तो गाजियाबाद से रिठाला तक चलने वाली रेड लाइन मेट्रो का विस्तार हरियाणा के कुंडली तक हो जाएगा। इस तरह कुंडली एनसीआर का छठा शहर बन जाएगा, जहां दिल्ली से मेट्रो पहुंचेगी। इस तरह इस लाइन की लंबाई भी बढ़कर 60 किलोमीटर हो जाएगी और इसके स्टेशनों की संख्या बढ़कर 50 हो जाएगी। फिलहाल यह रेड लाइन गाजियाबाद बस स्टैंड से रिठाला तक है।
पीआईबी से अनुमोदन
दिल्ली मेट्रो की किसी भी लाइन को कैबिनेट से मंजूरी मिलने से पहले पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड (पीआईबी) से मंजूरी लेनी होती है। शनिवार को डीडीए ने जानकारी दी है कि रिठाला से कुंडली वाया नरेला जाने वाली 26.5 किलोमीटर लंबी मेट्रो रेल लाइन को पीआईबी ने अपनी मंजूरी दे दी है और इस लाइन के निर्माण में खर्च होने वाली राशि में से डीडीए 1000 करोड़ रुपये भी देगा। सूत्रों का कहना है कि यह लाइन पूरी तरह से एलिवेटेड होगी और दिल्ली देहात के कई इलाकों को कवर करेगी। इस लाइन के निर्माण के लिए दिल्ली देहात के लोग पिछले कुछ सालों से आंदोलन के जरिए सरकार पर दबाव बना रहे थे। पहले इस लाइन पर लाइट रेल चलाने जैसे प्रस्ताव भी तैयार किए गए थे लेकिन बाद में उनमें बदलाव कर दिया गया। अब इस लाइन को कुंडली तक बढ़ाने का प्रस्ताव है। उम्मीद है कि अगर इसे जल्द कैबिनेट की मंजूरी मिल जाती है तो अगले साल की शुरुआत में इस लाइन का निर्माण कार्य भी शुरू हो सकता है।
प्रस्तावित स्टेशनों के नाम
रिठाला के बाद रोहिणी सेक्टर 25, सेक्टर 26, सेक्टर 31, सेक्टर 32, सेक्टर 36, बरवाला, रोहिणी सेक्टर 35, सेक्टर 34, बरवाला औद्योगिक क्षेत्र, बवाना औद्योगिक क्षेत्र, बवाना जेजे कॉलोनी, सन्नोथ, न्यू सन्नोथ, डिपो स्टेशन, भोरगढ़, नरेला अनाज मंडी, नरेला डीडीए स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, नरेला, नरेला सेक्टर-5, कुंडली और नाथूपुर।
इस लाइन का 20+ वर्षों से इंतजार है…
उत्तर पश्चिमी दिल्ली के ग्रामीण इलाके को मेट्रो की मंजूरी के लिए 20 साल से ज्यादा का इंतजार करना पड़ा। दिलचस्प बात यह है कि इस लाइन को बनाने का प्रस्ताव पहले चरण में ही रखा गया था। लेकिन उस समय इस हिस्से की मेट्रो लाइन को नई दिल्ली इलाके में शिफ्ट कर दिया गया था। उसके बाद 15 साल बाद इस लाइन पर विचार शुरू हुआ और अब इसे पीआईबी से मंजूरी मिल गई है।
जानिए इस मेट्रो लाइन का इतिहास
1998 में जब दिल्ली मेट्रो का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। उस समय तीन लाइनें प्रस्तावित थीं। इनमें से पहली लाइन शाहदरा से बवाना, डीयू से केंद्रीय सचिवालय और बाराखंभा रोड से द्वारका तक थी। लेकिन शाहदरा से बवाना लाइन सिर्फ रिठाला तक ही सीमित थी। उस समय तर्क दिया गया था कि रिठाला के बाद के इलाके में इतनी आबादी नहीं है कि वहां मेट्रो की जरूरत हो, इसलिए रिठाला से आगे के इलाके में निर्माण कार्य नहीं किया गया। उसके बाद तय हुआ कि रिठाला से आगे लाइन बनाने की बजाय बाराखंभा रोड से इंद्रप्रस्थ तक निर्माण किया जाए, क्योंकि इससे आईटीओ जैसी जगहों के लिए मेट्रो को ज्यादा यात्री मिलेंगे। इसके बाद जब मेट्रो निर्माण का पहला चरण पूरा हो गया तो बाराखंभा रोड से इंद्रप्रस्थ तक मेट्रो लाइन का निर्माण कार्य शुरू किया गया। इसके बाद प्रस्ताव आया कि इसे दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर तक बढ़ाया जाए। यह प्रस्ताव भी करीब एक साल से विचाराधीन था। हालांकि, इस बीच दिल्ली के ग्रामीण इलाकों से इस लाइन के निर्माण की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन होने लगे। पीआईबी की मंजूरी के बाद इस लाइन के जल्द पटरी पर आने की उम्मीदें बढ़ गई हैं।