जोशीमठ, 09 जून (हि.स.)। ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि ज्योतिषपीठ पर वर्तमान में अब कोई विवाद नहीं है। स्वामी स्वरूपानन्द जी के ब्रह्मलीन होने के बाद जो थोड़ा वैचारिक विवाद था भी वह भी समाप्त हो गया है।
शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती महाराज श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के उपरान्त ज्योतिर्मठ में आयोजित श्री राम कथा महायज्ञ के दौरान पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उनके गुरु ब्रह्मलीन स्वामी शांतानन्द सरस्वती जी महाराज का ज्योतिषपीठ पर अभिषेक हुआ था और तब स्वामी स्वरूपानन्द जी ने ही उनके नाम का प्रस्ताव रखा था, लेकिन बाद में क्या कारण रहे कि वे भी इस पीठ पर अपना दावा करते रहे। ज्योतिषपीठ पर दो अन्य संतों द्वारा भी स्वयं को शंकराचार्य के रूप में प्रचारित करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानन्द जी महाराज ने किसी को भी अपना उत्तराधिकारी नियुक्त नहीं किया है और महा मठानुशासन के अनुसार वे ऐसा कर भी नहीं सकते थे, अब कोई भी स्वयं को शंकराचार्य कह रहा है तो समाज को भी देखना चाहिए।
जोशीमठ भू धसाव आपदा पर शंकराचार्य ने कहा कि जोशीमठ का विस्थापन व पूनर्वास नहीं होना चाहिए, केवल सुरक्षात्मक कार्य होने चाहिए। इसके लिए वे प्रदेश एवं केन्द्र सरकार से भी वार्ता करेंगे।
देवभूमि उत्तराखंड की चारधाम यात्रा पर शंकराचार्य ने कहा कि अब यह धर्म यात्रा नहीं रह गई है। इस विकृति के लिए हम सब जिम्मेदार हैं। धार्मिक स्थानों की यात्रा तपस्वी की भांति होनी चाहिए, पर्यटक की तरह नहीं।