अपने कर्म के लिखे को भोलेनाथ की पूजा करके हटाने का प्रयास करना चाहिएः पंडित राघव मिश्रा

सीहोर, 07 जून (हि.स.)। शिव महापुराण कथा जीवन की व्यथा मिटाने वाली है, परंतु यह जीवन के व्यथा कब मिटाती है, जब प्राणी सत्य मार्ग का अनुसरण करें और सत्य मार्ग पर चलता हुआ अपने माता पिता की सेवा करें, साधु संतों की सेवा करें और देश की सेवा भी करें। सदैव दया भाव रख अपना जीवन निर्वाह करता रहे। लोग अपने हिसाब से जीवन जी रहे हैं। एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हैं। अपने कर्म के लिखे को भोलेनाथ की पूजा करके हटाने का प्रयास करना चाहिए न कि एक-दूसरे को नीचा दिखाने और हराने का कार्य करना चाहिए।

यह विचार शुक्रवार को जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी पांच दिवसीय संगीतमय शिव महापुराण के विश्राम दिवस पर प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के पुत्र कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने कही। शुक्रवार को कथा के अंतिम दिन कुबेरेश्वर धाम में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। इस दौरान एक दर्जन से अधिक संगठनों के पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रवासियों ने कथा व्यास की पूजा अर्चना और आरती की।

पंडित राघव मिश्रा ने कहा कि भगवान शिव को कठिन जतन से नहीं पवित्र मन और भाव से मनाया जा सकता है। बहुत से भक्त यह सोचते हैं कि यदि सम्पूर्ण पूजा सामग्री एकत्रित नहीं हो पाती है तो पशुपतिनाथ का व्रत अधूरा रह जाएगा और भगवान शिव हम से प्रसन्न नहीं होंगे, लेकिन भोलेनाथ के भक्तों को यह चिंता अपने मन से निकाल देनी है। जिस प्रकार से एक पिता अपने पुत्र की चिंता करता है, उसी प्रकार से भगवान शिव अपने भक्तों की चिंता रखते हैं, उन्हें प्रसन्न करने के लिए भक्तों को बहुत कठिन परिश्रम नहीं करना है। अगर एक लोटा जल भी हमने भोलेनाथ को प्रेम से अर्पित किया है, तो वह ही बहुत है। इसलिए जितनी भी पूजा सामग्री आप एकत्रित कर सकते है उसी पूजा सामग्री से पशुपतिनाथ जी की पूजा कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि सौभाग्यशाली होते हैं वैसे लोग जो अपने जीवनकाल में इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर पाते हैं। पुराणों के अनुसार शिवजी जहां-जहां स्वयं प्रकट हुए थे, उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि जो व्यक्ति प्रतिदिन प्रातकाल और संध्याकाल के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेते हैं, उनके पिछले सात जन्मों के पाप इन लिंगों के स्मरण मात्र से धुल जाते हैं। मानव का जीवन भगवान की भक्ति के लिए हुआ है और इस कलियुग में भक्ति से बड़ा कुछ नहीं है। कर्म के साथ भगवान की भक्ति करें।

संत महापुरष के द्वारा ही इंसान के जीवन का कल्याण संभव

कथा व्यास पंडित मिश्रा ने कहा कि संत महापुरष के द्वारा ही इंसान के जीवन का कल्याण संभव है अन्यथा और कोई भी मार्ग नहीं है। इंसान अपने जीवन के प्रति सजग नहीं है। वह इस बात से अनभिज्ञ ही हो चुका है कि उसके जीवन का केवल मात्र एक ही उद्देश्य है प्रभु प्राप्ति, लेकिन वह इन सब बातों से बहुत दूर जा चुका है। इंसान अपने जीवन को केवल खाने पीने और मौज मस्ती करने के साधन के रूप में ही स्वीकार कर चुका है। जबकि हमारे समस्त धार्मिक ग्रंथों में इस मानव तन को दुर्लभ कहा गया। आज मनुष्य समाज में जाग्रति की महती आवश्यकता है, जो व्यक्ति जागरूक नहीं है वह जीवन को सार्थक नहीं कर सकता है। यह जागरण तभी होगा जब उसे सदगुरु मिलेंगे। फिर ही इंसाफ की सोई हुई चेतना का पुनर्जागरण होगा। संत इंसान के भीतर ही उस परमात्मा के साक्षात्कार दर्शन करवा देते हैं।