लोकसभा चुनाव परिणाम 2024: चुनाव प्रबंधन में विशेषज्ञ होने का दावा करते हुए, गुजरात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने विधायकों को एक लाख की बढ़त का लक्ष्य दिया और 26 में से 26 सीटें पांच लाख के अंतर से जीतने का साहस किया खुद प्रधानमंत्री बने पाटिल भी नरेंद्र मोदी को वाराणसी में सम्मानजनक बढ़त नहीं दिला सके.
पाटिल ने नवसारी में एड चोटी को हराकर अपनी बढ़त बढ़ा ली
पाटिल ने खुद नवसारी में अपनी बढ़त बढ़ाने की भरपूर कोशिश की लेकिन वरसानी में नरेंद्र मोदी की बढ़त बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया, नतीजा यह हुआ कि प्रधानमंत्री सिर्फ डेढ़ लाख की बढ़त के साथ जीत गए. संक्षेप में, पाटिल के अलावा मोदी के लिए टीम गुजरात पर भरोसा करना कठिन था।
पाटिल को वाराणसी सीट पर प्रचार और मतदान की जिम्मेदारी सौंपी गई थी
गुजरात में लोकसभा चुनाव खत्म होते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी सीट पर प्रचार से लेकर मतदान तक की जिम्मेदारी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल को सौंप दी. इसके अलावा पाटिल के साथ गृह मंत्री हर्ष संघवी, मंत्री ऋषिकेष पटेल, मंत्री जगदीश विश्वकर्मा भी भेजे गए थे.
पाटिल ने स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की आलोचना के अलावा कुछ नहीं किया
लेकिन पाटिल ने वाराणसी में मोदी के नाम पर स्थानीय नेताओं-कार्यकर्ताओं पर हमला करने के अलावा कुछ नहीं किया. हर्ष सांघवी, ऋषिकेश पटेल और जगदीश विश्वकर्मा भी प्रचार के नाम पर सिर्फ रोते रहे और गंगा आरती देखने के बाद वाराणसी के एक होटल-रिसॉर्ट में रुके.
प्रधानमंत्री ने तुरंत अमित शाह को वाराणसी भेजा
आख़िरकार स्थिति ऐसी बनी कि स्थानीय नेताओं ने नरेंद्र मोदी को वास्तविक स्थिति से अवगत कराया, जिसके परिणामस्वरूप प्रधान मंत्री ने अमित शाह को वाराणसी भेजा। अमित शाह ने स्थानीय नेता से लेकर संगठन के नेताओं तक सभी को ढंग से क्लास का संचालन कराया.
भाजपा कार्यकर्ताओं की चुनाव कार्य में बिल्कुल रुचि नहीं रही
यही वजह है कि नरेंद्र मोदी डेढ़ लाख में जीत सके. बाकी पाटिल ने कहा था कि वाराणसी सीट पर बीजेपी कार्यकर्ताओं को चुनाव कार्य में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं है. अगर समय रहते प्रधानमंत्री का ध्यान नहीं गया होता तो नरेंद्र मोदी की बढ़त 50 हजार की होती. गौरतलब है कि साल 2019 में मोदी को 4,79,505 वोटों की बढ़त मिली थी.
पाटिल ने वाराणसी छोड़ दिया था
इस मुद्दे पर खुद बीजेपी में ही सुगबुगाहट है कि पाटिल ने नवसारी में चुनाव प्रचार कर अपनी बढ़त 7 लाख से ज्यादा कर ली, लेकिन नरेंद्र मोदी के लिए पाटिल ने वाराणसी छोड़ दी और प्रचार की कमान संभाल ली. तो प्रधानमंत्री यूपी कांग्रेस अध्यक्ष आज्ञा राय के खिलाफ सिर्फ डेढ़ लाख की बढ़त के साथ दूसरे नंबर पर रहे. वहीं, राहुल गांधी, अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेताओं ने तीन से चार लाख की बढ़त के साथ जीत हासिल की.
मोदी को 10 साल में ऐसी स्थिति देखनी पड़ी
पार्टी में यह भी चर्चा है कि मोदी के निशाने पर रहे राहुल गांधी ने रायबरेली में 3.90 लाख की बढ़त हासिल कर ली है. जो विचारणीय है और अगर पार्टी के सर्वोच्च नेता और चुनाव प्रचार का मुख्य चेहरा रहे मोदी को 10 साल में ऐसी स्थिति देखनी पड़ रही है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
रिकॉर्ड तोड़ लीड की जगह सिर्फ डेढ़ लाख की लीड मिली
रिकॉर्डतोड़ बढ़त के बजाय सिर्फ डेढ़ लाख की बढ़त से जीत हासिल करने के बाद अब प्रधानमंत्री मोदी सी. आर। इस बात पर चर्चा चल रही है कि पाटिल को मंत्री पद दिया जाएगा या नहीं. इस तरह गुजरात में मंत्रियों-विधायकों को लीड का टारगेट देने वाले पाटिल खुद प्रधानमंत्री मोदी को लीड नहीं दिला सके.