आरबीआई ने इस बार भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. गौरतलब है कि पिछली 8 बैठकों से ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं हुआ है. इस बार भी रिजर्व बैंक ने लोगों को राहत देते हुए रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है और इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है.
फरवरी 2023 में रेपो रेट में बदलाव हुआ था
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बार भी नीतिगत दर (रेपो रेट) अपरिवर्तित रह सकती है। यानी रेट में कोई बदलाव की उम्मीद नहीं है. नए वित्त वर्ष की यह दूसरी एमपीसी बैठक है और फिलहाल रेपो रेट 6.50 फीसदी पर स्थिर है. रिजर्व बैंक ने आखिरी बार फरवरी 2023 में ब्याज दर में संशोधन करते हुए इसे 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया था. तब से कोई बदलाव नहीं किया गया है.
ईएमआई पर रेपो रेट का असर
आरबीआई की एमपीसी हर दो महीने में बैठक करती है और रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास सहित छह सदस्य मुद्रास्फीति और अन्य मुद्दों और बदलावों (नियमों में बदलाव) पर चर्चा करते हैं। आपको बता दें कि रेपो रेट का सीधा संबंध बैंक से लोन लेने वाले ग्राहकों से होता है. इसके घटने से लोन की ईएमआई कम हो जाती है और इसके बढ़ने से ईएमआई बढ़ जाती है। दरअसल, रेपो रेट वह दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक धन की कमी की स्थिति में वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है। रेपो दर का उपयोग मौद्रिक प्राधिकरण द्वारा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
महंगाई के आंकड़ों पर एक नजर
मई की मुद्रास्फीति दर के आंकड़े इस महीने के अंत में जारी किये जायेंगे। एसबीआई रिसर्च के मुताबिक अक्टूबर से वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक महंगाई दर 5 फीसदी से नीचे रहने की उम्मीद है. इससे पहले, अप्रैल में थोक मुद्रास्फीति बढ़कर 1.26% हो गई, जो 13 महीने का उच्चतम स्तर है। इसके अलावा अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 4.83 फीसदी रही.
पिछले वित्त वर्ष में रेपो रेट में 6 बार बदलाव किया गया था
नए वित्त वर्ष में यह एमपीसी की दूसरी बैठक है और पहली बैठक में भी रेपो रेट को स्थिर रखा गया था। हालांकि, पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में रेपो रेट में छह बार बढ़ोतरी की गई थी। उस समय महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने रेपो रेट को कई बार 4 फीसदी बढ़ाकर 2.50 फीसदी किया और फरवरी 2023 में इसे बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया गया.