प्रयागराज, 04 जून (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि वैध विद्युत कनेक्शन को केवल इसलिए अनिश्चित काल तक बाधित नहीं किया जा सकता क्योंकि ओवरहेड तारों को भूमिगत केबलों से बदला जाना है।
मुरादाबाद में स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत सड़कों को चौड़ा करते समय, प्रतिवादी अधिकारियों ने कई ओवरहेड तारों को हटा दिया था। जिससे याचिकाकर्ताओं की दुकानों में बिजली की आपूर्ति बाधित हो गई थी। इसके अलावा, स्टेशन रोड पर स्थित एक इमारत का एक हिस्सा, जहाँ दुकानें स्थित थी, को अधिकारियों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था और मलबा वहीं छोड़ दिया गया था।
याचिकाकर्ताओं ने अपनी बिजली आपूर्ति बहाल करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। विपक्षी अधिकारियों ने दलील दी कि याचिका कर्ताओं और उनके मकान मालिकों द्वारा दायर मुकदमों में कोर्ट से निषेधाज्ञा के कारण, अधिकारियों द्वारा भूमिगत केबल बिछाने का काम पूरा नहीं किया जा सका। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि निषेधाज्ञा भवन के एक हिस्से को ध्वस्त करने से सम्बंधित थी, जो बिजली आपूर्ति बहाल करने में बाधक नहीं है।
बिजली विभाग के वकील ने कहा कि नगर निगम द्वारा मलबा नहीं हटाए जाने के कारण बिजली आपूर्ति बहाल नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि जैसे ही नगर निगम मलबा हटाएगा, बिजली आपूर्ति बहाल हो जाएगी। न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की पीठ ने कहा इस निर्विवाद तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ताओं के पास वैध बिजली कनेक्शन था और बिजली आपूर्ति को डिस्कनेक्ट करने का एकमात्र कारण यह था कि ओवरहेड तारों को भूमिगत केबलों द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना था, हमारा मानना है कि उक्त आधार अनिश्चित समय के लिए वैध बहाना नहीं हो सकता। नगर निगम और बिजली विभाग कानूनी रूप से बाध्य हैं कि वे एक साथ काम करें और मलबे को हटा दें और वैध उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति बहाल करें।
तदनुसार, न्यायालय ने नगर निगम और विद्युत विभाग को आपस में समन्वय स्थापित कर 48 घंटे के भीतर याचिकाकर्ताओं का विद्युत कनेक्शन बहाल करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने निर्देश दिया कि यदि कनेक्शन बहाल नहीं किया जाता है, तो प्रतिवादियों को कारण बताना होगा कि लम्बे समय तक वैध विद्युत आपूर्ति बाधित करने के लिए उन पर हर्जाना क्यों न लगाया जाए। कोर्ट ने यह आदेश शेखर कपूर व 10 अन्य की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई के बाद पारित किया है।