‘जुगाड़नी सरकार’ में विश्व नेताओं के बीच घटेगी पीएम मोदी की लोकप्रियता, वैश्विक नेता की साख को लगेगा झटका?

नई दिल्ली: भारत में लोकसभा चुनाव के बाद अब पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन को बहुमत मिलता दिख रहा है. नतीजों और रुझानों में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को करीब 295 सीटें मिलती दिख रही हैं. ऐसे में सरकार बनाने के लिए कुल 272 सीटें चाहिए. अब सबकी निगाहें नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर हैं. नीतीश की पार्टी ने कहा कि वह एनडीए में रहेंगे. इस बीच भारत गठबंधन नीतीश और नायडू को अपने पाले में करने की कोशिश कर रहा है. अगर नीतीश और नायडू एनडीए छोड़ते हैं तो पीएम मोदी के लिए दोबारा सरकार बनाना मुश्किल हो जाएगा. गठबंधन के चलते अगली सरकार जुगाड़ पर आधारित होगी और बीजेपी को दूसरों की मदद से काम चलाना पड़ेगा. लोगों का कहना है कि इससे दुनिया में पीएम मोदी की अजेय छवि पर असर पड़ेगा. विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं हैं. आइये समझते हैं…

अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ कमर आगा का मानना ​​है कि पीएम मोदी पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री का दुनिया में हमेशा बड़ा कद रहा है. भारत संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर भी विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व करता है। पीएम मोदी ने अपनी एक छवि और काम करने का तरीका बनाया. पीएम मोदी यूरोप और अमेरिका के साथ रिश्ते बढ़ाना चाहते थे. सवाल यह है कि क्या पश्चिमी देश यह देखते हैं कि भारत से उनके हितों को किस तरह फायदा हो रहा है? तो पीएम मोदी की नीति रही है कि वो भारत के हित को आगे बढ़ा रहे हैं.

 

पीएम मोदी के कद पर नहीं पड़ेगा कोई असर
आगा ने कहा कि पीएम मोदी की इंडिया फर्स्ट नीति पश्चिमी देशों के लिए समस्या रही है. अगर पीएम मोदी की गठबंधन सरकार बनी तो अफ्रीका, मध्य एशिया और खाड़ी देशों के साथ रिश्ते पहले जैसे रहेंगे. भारत के यूरोप, रूस से संबंध रहेंगे. रूस भारत का खास दोस्त रहा है. पीएम मोदी ने अरब देशों से अपना निजी रिश्ता बनाया है. 

कमर आगा ने कहा कि पीएम मोदी के कार्यकाल में उन्हें सबसे बड़ी चुनौती दक्षिण एशिया से देखने को मिलेगी. जब पीएम मोदी सत्ता में आए तो उन्होंने पड़ोसी पहले की नीति को प्राथमिकता दी. चीन नेपाल, श्रीलंका, मालदीव, पाकिस्तान, बांग्लादेश के साथ अपने रिश्ते मजबूत कर रहा है। भारत को सबसे बड़ी चुनौती दक्षिण एशिया से मिल रही है. अगले पांच साल में पीएम मोदी के सामने बड़ी चुनौती दक्षिण एशिया से रिश्ते सुधारने की होगी. मालदीव की सरकार भी भारत विरोधी कदम उठा रही है.