एफएसएसएआई ने सभी खाद्य कंपनियों को अपने फलों के जूस के लेबल और विज्ञापनों से ‘100% फलों के जूस’ के दावे को तत्काल प्रभाव से हटाने का निर्देश दिया है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने सोमवार (3 जून) को एक बयान जारी कर यह जानकारी दी। इतना ही नहीं, FSSAI ने सभी खाद्य कंपनियों को 1 सितंबर, 2024 से पहले अपनी मौजूदा प्री-प्रिंटेड पैकेजिंग सामग्री को चरणबद्ध तरीके से हटाने का भी निर्देश दिया है।
एफएसएसएआई ने कहा, ‘हमने पाया कि कई खाद्य व्यवसाय संचालक (एफबीओ) विभिन्न प्रकार के पुनर्गठित फलों के रस का गलत विपणन कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि वे ‘100% फलों के रस’ हैं। एफएसएसएआई ने कहा, ‘जांच के बाद, खाद्य नियामक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि खाद्य सुरक्षा और मानक (विज्ञापन और दावे) विनियम 2018 के अनुसार ‘100%’ दावा करने का कोई प्रावधान नहीं है।
खाद्य नियामक ने कहा कि ऐसे दावे भ्रामक हैं। खासकर उन स्थितियों में जहां फलों के रस का मुख्य घटक पानी है। जबकि असली फल बहुत सीमित मात्रा में मौजूद होता है, जिसके लिए कंपनी ‘100%’ का दावा करती है। हालाँकि, कंपनियाँ पानी और फलों के सांद्रण या गूदे का उपयोग करके फलों के रस का पुनरुत्पादन कर रही हैं।
भारत के खाद्य कानूनों के अनुसार, खाद्य कंपनियों के लिए घटक सूची में सांद्र से पुनर्गठित रस के नाम के आगे ‘पुनर्गठित’ शब्द का उल्लेख करना अनिवार्य है। इसके अलावा, यदि पोषक मिठास 15 ग्राम/किग्रा से अधिक है, तो उत्पाद को ‘मीठा रस’ के रूप में लेबल किया जाना चाहिए।