सूरत में बिना वोट गंवाए कैसे जीत गए बीजेपी के मुकेश दलाल? चुनाव न लड़ने के मुद्दे पर अब चुनाव आयोग ने जवाब दिया

लोकसभा चुनाव की मतगणना से ठीक एक दिन पहले सोमवार को चुनाव आयोग ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने सोशल मीडिया ट्रोलिंग, वोटिंग रिकॉर्ड, लोकतंत्र की ताकत, चुनाव के बाद हिंसा और आदर्श आचार संहिता लागू करने पर खुलकर बात की. इस दौरान राजीव कुमार से सूरत में बीजेपी उम्मीदवार मुकेश दलाल के निर्विरोध चुने जाने के बारे में भी पूछा गया. 

सूरत बैठक के बारे में क्या कहना?
प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार से सूरत में उम्मीदवार के निर्विरोध चुने जाने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि हर सीट पर चुनाव हो. यानी हर सीट के लिए वोटिंग होनी चाहिए. चुनाव जीतने की प्रतिष्ठा निर्विरोध चुने जाने में नहीं है. यदि नामांकन प्रक्रिया समाप्त होने के बाद उम्मीदवार स्वयं अपना नाम वापस ले ले तो हम क्या कर सकते हैं? जहां एक ही उम्मीदवार होगा वहां वोटिंग कराना उचित नहीं होगा. हमारी एंट्री तब होती है जब किसी उम्मीदवार पर नाम वापस लेने के लिए दबाव डाला जाता है या मजबूर किया जाता है। 

सूरत में बीजेपी उम्मीदवार निर्विरोध
यहां बता दें कि गुजरात की सूरत सीट पर बीजेपी उम्मीदवार मुकेश दलाल ने चुनाव से पहले ही जीत हासिल कर ली है. क्योंकि उनके खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार का फॉर्म रद्द हो गया था और बाकी निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपना फॉर्म वापस ले लिया था. इसके बाद उन्हें निर्विरोध घोषित कर दिया गया। यह मामला पूरे देश में चर्चा में रहा. कांग्रेस ने भी इस पर सवाल उठाया और बीजेपी पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया. 

पहली ऐसी प्रेस कॉन्फ्रेंस
भारतीय राजनीति के इतिहास में पहली बार चुनाव आयोग ने मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद और नतीजों से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस की. 1951-52 में पहले लोकसभा चुनाव के बाद से चुनाव आयोग ने कभी भी वोटों की गिनती से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की है. इससे पहले चुनाव आयोग ने 16 मार्च को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लोकसभा और 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों की तारीखों का ऐलान किया था.