दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में शरजील इमाम को मिली जमानत

नई दिल्ली, 29 मई (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में आरोपित शरजील इमाम को वैधानिक जमानत दे दी है। हाई कोर्ट ने शरजील इमाम को जामिया विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण देने के मामले में जमानत दी है। जस्टिस सुरेश कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने शरजील को वैधानिक जमानत देने का आदेश दिया। हालांकि हाई कोर्ट के इस आदेश के बावजूद वह जेल से बाहर नहीं आ पाएगा, क्योंकि दिल्ली दंगे की बड़ी साजिश के मामले में भी वो जेल में बंद है।

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगा मामले में आरोपित शरजील इमाम की वैधानिक जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि दिल्ली में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध के नाम पर हिंसा की साजिश रची गई। दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि शरजील इमाम का भाषण लोगों को उकसाने के लिए था। शरजील ने अपने भाषण में कहा था कि अगर आप सड़कों पर नहीं उतरोगे तो वे लोग समाप्त कर देंगे। शरजील इमाम के सभी भाषण एक समान थे, जिसमें चक्का जाम, बाबरी, ट्रिपल तलाक और अनुच्छेद 370 की चर्चा थी। उन्होंने कहा था कि शरजील इमाम ने चिकन नेक कॉरिडोर जाम कर उत्तर-पूर्व के हिस्से को देश के बाकी हिस्सों के काटने की बात की थी।

हाई कोर्ट ने 11 मार्च को शरजील इमाम की वैधानिक जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। शरजील इमाम की ओर से पेश वकील ने कहा था कि शरजील ने अधिकतम 7 साल की सजा की आधी सजा काट ली है। ऐसे में उसको तत्काल जेल से रिहा किया जाए। याचिका में कहा गया है कि शरजील इमाम 28 जनवरी 2020 से हिरासत में है। इसके पहले कड़कड़डूमा कोर्ट ने 17 फरवरी को शरजील इमाम की वैधानिक जमानत याचिका खारिज कर दी थी। दरअसल, 30 जनवरी को हाई कोर्ट ने कड़कड़डूमा कोर्ट को निर्देश दिया था कि वो शरजील इमाम की वैधानिक जमानत याचिका पर 17 फरवरी तक सुनवाई पूरी करे। कड़कड़डूमा कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि प्रावधानों में कुछ भ्रम है। सवाल ये है कि क्या यूएपीए के तहत कोई आरोपित आधी सजा पूरी करने के बाद अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 436ए के तहत जमानत पाने का हकदार है।

शरजील की वैधानिक जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा था कि अपराध की गंभीरता को नजरंदाज़ नहीं किया जा सकता है। सिर्फ इसलिए कि आरोपित ने उसके ऊपर दर्ज मामलों में मिलने वाली अधिकतम सजा का आधा हिस्सा जेल में बिता लिया है। इस आधार पर ज़मानत नहीं दी जा सकती है।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम के खिलाफ यूएपीए के तहत दाखिल चार्जशीट में कहा है कि शरजील इमाम सीएए के खिलाफ प्रदर्शन को अखिल भारतीय स्तर पर ले जाने के लिए बेताब था और ऐसा करने की जी तोड़ कोशिश कर रहा था। दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम के खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए, 153ए, 153बी और 505(2) के तहत एफआईआर दर्ज की थी।