ग्वालियर, 28 मई (हि.स.)।राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है। अधिकतम तापमान में दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। अगले कुछ दिनों तक भीषण गर्मी और तीव्र लू से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। सूर्यदेव सुबह से ही रौद्र रूप दिखाते हैं तो लोगों का घर से निकलना मुश्किल होता है। देश के पांच राज्यों में अधिकतम तापमान 48 से 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश का ग्वालियर-चंबल भी भीषण गर्मी से अछूता नहीं है। यहां भी भीषण गर्मी से हाहाकार सदृश्य स्थिति है। तापमान की दृष्टि से देखें तो ग्वालियर इस समय दुनिया के सबसे गर्म स्थान अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया की डेथ वैली से भी ज्यादा गर्म है। रिपोर्ट की मानें तो 28 मई को डेथ वैली का अधिकतम तापमान 42.7 डिग्री सेल्सियस रहा जबकि ग्वालियर का अधिकतम तापमान 47.6 डिग्री पर दर्ज किया गया है जो सामान्य से 5.1 डिग्री सेल्सियस अधिक है जबकि दतिया में अधिकतम तापमान 48.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
ग्वालियर में पिछले एक पखवाड़े से अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर ही टिका हुआ है। रोहिणी नक्षत्र (नौतपा) के दूसरे दिन से तो यह 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच रहा है और नौतपा के चौथे दिन यह 47.6 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। स्थानीय मौसम विज्ञान केन्द्र में उपलब्ध 2008 तक के रिकॉर्ड अनुसार गुजरे 16 साल में ग्वालियर में तापमान इससे अधिक नहीं पहुंचा है। इससे पहले 30 मई 2019 को ग्वालियर में सर्वाधिक अधिकतम तापमान 47.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। चूंकि मई-जून में ग्वालियर-चंबल में भीषण गर्मी तो दिसम्बर-जनवरी में भीषण ठंड पड़ती है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसे कौन से कारण हैं जो ग्रीष्म ऋतु में यहां के मौसम को अत्यधिक गर्म और शरद ऋतु में सर्वाधिक ठंडा बनाते हैं।
स्थानीय मौसम विज्ञानी हकुम सिंह बताते हैं कि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र भारत के उत्तर-पश्चिम है और भारत के सर्वाधिक गर्म राज्य राजस्थान से लगा हुआ है। ग्रीष्मकाल में राजस्थान में भीषण गर्मी पड़ती है जहां कई जिलों में तापमान 49 से 50 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। वहां से लगातार गर्म हवाएं ग्वालियर-चंबल की ओर आती हैं जो यहां के मौसम को गर्म बनाती हैं। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर भी कई कारण मौजूद हैं। यहां घाटीगांव का क्षेत्र पथरीला है।
उन्होंने कहा कि ग्वालियर शहर चारों ओर से पथरीली पहाडिय़ों से घिरा हुआ है। इस कारण सूरज की तपिश से यहां की धरा बहुत जल्दी गर्म होकर तवे की तरह तपने लगती है। सड़कों पर दिन-रात दौडऩे वाले वाहनों से निकलने वाला धुआं और सड़कों पर उड़ती धूल से यहां वायु प्रदूषण भी अधिक है।
इसके साथ ही मौसम विज्ञानी हकुम सिंह यह भी कहते हैं कि तापमान को नियंत्रित करने में नदी-तालाब जैसे बड़े जल स्रोत और पेड़-पौधों की बड़ी भूमिका होती है जबकि यहां इनका भारी अभाव भी है इसलिए यहां सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है। इसी प्रकार शरद ऋतु में ईरान से अफगानिस्तान और पाकिस्तान होते हुए आने वाले पश्चिमी विक्षोभ से जब उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश और बर्फबारी होती है तो वहां भीषण ठंड पड़ती है।
ग्वालियर को लेकर आपका कहना यह भी है कि भारत के उत्तर-पश्चिम में होने से पहाड़ी क्षेत्रों से सीधे ठंडी हवाएं इधर आती हैं तो यहां की धरा पथरीली होने से जल्दी ठंडी हो जाती है। जिससे यहां हर साल दिसम्बर-जनवरी में भीषण ठंड पड़ती है। इसी कारण यहां सर्दी और गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा पक्षियों की मौत होती है।