प्रयागराज, 28 मई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है और न्यायहित व अपराध की प्रकृति को देखते हुए ट्रायल कोर्ट को हरसंभव बाध्यकारी कानूनी कार्यवाही कर एक साल में समयबद्ध तरीके से ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि अपराध गम्भीर है। मुख्य आरोपी को जमानत पर रिहा करने से निष्पक्ष ट्रायल के लिए उचित नहीं होगा। याची 22 फरवरी 24 से जेल में बंद हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने राजगढ़ मिर्जापुर के अंकित यादव की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है।
अर्जी का विरोध करते हुए शिकायतकर्ता के अधिवक्ता व अपर शासकीय अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि जुनैद केस में हाईकोर्ट के निर्देश का पालन कर दिया गया है। जमानत अर्जी की कापी पीड़िता व बाल कल्याण समिति मिर्जापुर को दी गई है। पीड़िता नाबालिग है। याची प्रमुख अपराधी है। इस पर दुष्कर्म का आरोप है। मेडिकल रिपोर्ट अभियोजन के साक्ष्यों का समर्थन करती है। गम्भीर अपराध में जमानत देना उचित नहीं है।
कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को देरी करने वालों पर हर्जाना सहित वह सभी कदम उठाने का आदेश दिया है जिससे ट्रायल समयबद्ध तरीके से तय किया जा सके। कोर्ट ने गवाहों व वकीलों को ट्रायल में सहयोग करने का भी आदेश दिया है। साथ ही अदालत से कहा है कि सम्मन नियमित प्रक्रिया के अलावा पंजीकृत डाक से अभियुक्तों को भेजा जाय। कोर्ट ने एसपी मिर्जापुर को अदालत में हलफनामा दाखिल कर आश्वासन देने का आदेश दिया है कि वह सम्मन या वारंट का तामीला उनके द्वारा किया जायेगा और अभियुक्तों व गवाहों को अदालत में पेश किया जाएगा।
कोर्ट ने इससे पहले एक केस के आदेशानुसार सम्मन व वारंट तामील करने के संबंध में डी जी पी व प्रमुख सचिव गृह द्वारा जारी सर्कुलर का पालन करने का भी निर्देश दिया है। जिसके तहत एसपी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को हर 15 दिन में ट्रायल की प्रगति पर अपनी रिपोर्ट जिला जज को देने को भी कहा है। कोर्ट ने अदालत में हाजिर न होने वाले सह अभियुक्तों की गिरफ्तारी कर पेश करने का भी निर्देश दिया है। साथ ही थाने में पीड़िता से दुर्व्यवहार करने वाले पुलिस अधिकारियों की जांच कर कार्रवाई करने का भी आदेश दिया है।