पूर्णिया, 28 मई (हि . स .)। प्रखंड में कई ऐसे विद्यालय हैं, जहां उस विद्यालय में बच्चों को पढ़ाने की क्षमता पांचवीं तक नहीं है और वहां प्लस टू की पढ़ाई हो रही है । कक्षा के नाम पर मात्र छः कमरे है। आखिर यह कैसे सभी कक्षाओं की पढाई संभव हो पा रही है । ऐसा ही सिमडा गांव स्थित प्लस टू विद्यालय है । विद्यालय उत्क्रमित होता चला गया, परंतु संसाधन प्राथमिक विद्यालय जैसा भी नहीं है ।
इस विद्यालय में लगभग 1000 बच्चे शिक्षा पाते हैं । प्रयोगशाला क्या चीज होती है किसी भी बच्चे को पता तक नहीं हैं, जबकि यहां से प्रतिवर्ष हाईस्कूल से बच्चे पास कर रहे हैं । जब परीक्षा में बैठने के लिए बच्चों को जगह नहीं मिल रहती है । कमरे में बच्चे बड़ी संख्या में भरे थे। बेंच-डेस्क का पूर्ण अभाव है। समाज को आगे ले जाने वाली संस्थान के प्रति सरकार कभी गंभीर नहीं है ।
मौके पर परीक्षा दे रहे बच्चों ने समस्या बताते हुए कहा कि वे कैसे परीक्षा दें, कैसे पढाई करें, कहां बैठें ? स्कूल में उपस्थित शिक्षक ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें काफी समस्या हो रही है । बच्चे को कहां पढाएं और कैसे पढाएं । ना तो बेंच डेस्क है और ना ही जरूरत के हिसाब से कमरे हैं। उन्होंने बताया कि हमारे इस स्कूल में कुल 10 शिक्षक है।
गांव की मुखिया पवित्री देवी कहती हैं विद्यालय में बच्चों के अनुपात में सुविधा बिल्कुल नगण्य हैं। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों ने अपनी तरफ से सवा बीघा जमीन स्कूल को दिया है। जल्दी प्लस टू विद्यालय के नाम से रजिस्ट्री हो जाएगी। सिमडा जैसे दर्जनों विद्यालय हैं जहां यही लाचार और बेबस व्यवस्था दौड़ रही है।