पूर्णिया की साहित्यिक चौपाल ”चटकधाम” ने की एक शाम दिवंगत साहित्यकार गौरीशंकर पूर्वोत्तरी के नाम

पूर्णिया,27 मई (हि. स.)। पूर्णिया के जिला स्कूल परिसर के स्काउट भवन में पूर्णिया की साहित्यिक चौपाल चटकधाम के तत्वावधान में सोमवार को दिवंगत साहित्यकार व चटकधाम के एक स्तंभ कहे जानेवाले कवि गौरीशंकर पूर्वोत्तरी की पुस्तक ”प्रथम अंकुर” का विमोचन “एक शाम गौरीशंकर पूर्वोत्तरी के नाम कार्यक्रम के माध्यम से किया गया ।

इस अवसर पर दिवंगत साहित्यकार, स्मृति शेष गौरीशंकर पूर्वोत्तरी की काव्य कृति ”प्रथम अंकुर” के साथ ही प्रसिद्ध कथाकार डॉ. रामदेव सिंह की पुस्तक “तुम्हारा नुनु भैया” का भी लोकार्पण संयुक्त रूप से किया गया । रामदेव सिंह की इस पुस्तक में उन पत्रों को संकलित किया गया है, जो बीते तीन दशक में गौरीशंकर पूर्वोत्तर ने अपने भाई समान मित्र रामदेव सिंह के नाम लिखा था ।

रामदेव सिंह दिवंगत साहित्यकार गौरीशंकर पूर्वोत्तरी को नुनु भैया कहकर संबोधित किया करते थे, इसलिए वह इन्हे लिखे हर पत्र में अंत में लिखते थे, तुम्हारा नुनु भैया और इसी शीर्षक से उन्होंने अपने अजीज गौरी शंकर पूर्वोत्तर के लिखे पत्रों को संकलित कर स्मृति शेष को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है,जो एक पुस्तक के रूप में छापकर सामने आई है ।

आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता चटकधाम के अग्रणी सदस्य और अस्सी वर्ष को पार कर चुके बुजुर्ग आकाशवाणी के केंद्र निदेशक से सेवानिवृत, समाजसेवी , वरिष्ठ कवि विजय नंदन प्रसाद ने की । जबकि मुख्य अतिथि के रूप में कटिहार डी.एस कॉलेज के प्राचार्य और हिंदी कथा जगत के जाने-माने नाम डॉ संजय कुमार सिंह ने शिरकत की

मौके पर मुख्य अतिथि डाॅ. संजय कुमार सिंह ने कहा कि निश्चित तौर पर गौरीशंकर पूर्वोत्तरी एक सच्चे इंसान और साहित्य सेवी थे, क्योंकि वह जो सोचते थे वही करते थे और वही कहते भी थे, उनमें कहीं से कोई मिलावट नहीं थी । उन्होंने रेलवे की सेवा से अवकाश ग्रहण करने के बाद साहित्य को भरपूर जीया और नुक्कड़ चाय की चौपाल चटकधाम पर अपना एक अलग मुकाम बनाया । आज भी चटकधाम और हमारे स्मृति में वह बसे हुए हैं।

बुजुर्ग साहित्यकार विजरनंदन प्रसाद ने भी चरटकधाम से जुड़े कई संस्मरण को याद करते हुए कहा कि ,आज जब हमारे अभिन्न मित्र गौरी बाबू सशरीर हमारे बीच नही हैं तब भी उनके होने का एहसास हमारे बीच है। गौरी बाबू के सुपुत्र सोमेश जी और रचनाकार प्रकाशन के प्रियंवद जी के प्रयास से

यह पुस्तक रचनाकार प्रकाशन से छापकर आई तो, ऐसा लगा कि गौरीशंकर पूर्वोत्तरी की वापसी हो गई है ! क्योंकि, इसमे अब कोई दो राय नहीं है कि वह चटकधाम के स्तंभ थे । गौरीशंकर पूर्वोत्तरी हमारे जेहन में सदैव बसे रहेंगे । उन्होंने यह भी कहा कि चटकधाम की ओर से आगे भी ऐसे आयोजन होंगे और ऐसी कई अन्य कृतियां भी छपकर सामने आएगी ।