नई दिल्ली, 27 मई (हि.स.)। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट मामले में बिभव कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी है। बिभव कुमार फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
सुनवाई के दौरान आज राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल तीस हजारी कोर्ट में रो पड़ीं। सुनवाई के दौरान बिभव कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने कहा कि सुरक्षाकर्मियों को मालीवाल के मुख्यमंत्री से अपॉइंटमेंट के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। इसके बाद उन्हें इंतजार करने के लिए कहा गया, लेकिन वह जबरन अंदर घुस गई और प्रतीक्षा कक्ष में जा बैठीं और सुरक्षाकर्मियों से मुख्यमंत्री के पीए बिभव कुमार से बात करने को कहा। हरिहरन ने कहा कि सांसद बनने से आपको अपनी मर्जी से कुछ भी करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता है। मालीवाल की तरफ से उकसावे की कार्रवाई की गई और कहा गया कि क्या आप एक सांसद को बाहर इंतजार करवाएंगे।
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि पीड़ित महिला की छवि बहुत अच्छी है। उस अकेली महिला को छाती और गर्दन पर मारा गया, उसे घसीटा गया, जिस दौरान उसका सिर सेंटर टेबल से टकरा गया। य़ह सवाल नहीं है कि क्या इससे उसकी मौत नहीं हो सकती। आप एक महिला को इस तरह से मार रहे हैं कि उसका बटन खुल गया। उन्होंने कहा कि वह मौजूदा सांसद हैं। वह दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन रह चुकी हैं। आम आदमी पार्टी स्वाति को लेडी सिंघम कहती थी। अब कहा जा रहा है कि वह बिभव कुमार की छवि खराब करने के लिए सोची समझी रणनीति के तहत वहां गई थी।
सुनवाई के दौरान स्वाति मालीवाल के वकील माधव खुराना के दलील देने पर हरिहरन ने कोर्ट में आपत्ति दर्ज करायी। इस दौरान दोनों बीच तीखी बहस हुई। उसके बाद वकील माधव खुराना ने दलील देते हुए कहा कि जांच में बिभव ने सहयोग नहीं किया। वह सवालों के सीधे-सीधे जवाब नहीं दे रहे हैं। अगर स्वाति की मेडिकल जांच तीन-चार दिन बाद भी हो रही है तो इसका मतलब य़ह नहीं कि उस जांच का कोई मतलब नहीं रहा। तब भी अहमियत रखती है।
कोर्ट ने बिभव कुमार की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस को 24 मई को नोटिस जारी किया था। इस मामले में स्वाति मालीवाल ने 17 मई को कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया था। घटना 13 मई की है। दिल्ली पुलिस ने 16 मई को स्वाति मालीवाल का बयान दर्ज कर एफआईआर दर्ज की थी।