कोरबा/ जांजगीर, 27 मई (हि. स.)। केएसके महानदी पावर कम्पनी लिमिटेड नरियरा में छत्तीसगढ़ पाॅवर मजदूर संघ एचएमएस यूनियन के आह्वान पर सोमवार सुबह 7 बजे से टूल डाउन प्रारम्भ हो गया है, जिससे कारखाना का काम पूरी तरह ठप हो गया है। श्रमिक संघ के द्वारा विगत फरवरी माह में बड़ी संख्या में मोटरसाइकिल रैली निकाल कर जिला प्रशासन को अपनी मांगों का मांग पत्र सौंपा गया था, जिसमें अभी तक कोई भी सकारात्मक पहल नहीं हुआ है।
अप्रैल 2024 से श्रमिकों को वार्षिक वेतनवृद्धि का लाभ लंबित हो गया है, साथ ही पिछले वर्ष के समझौते में अस्पताल निर्माण के लिए भी बात हुई है, जिसके लिए जिला प्रशासन को 50 लाख रुपये अग्रिम भुगतान कर देने की बात हुई है। निर्माण कार्य प्रारंभ के पश्चात बाकी एक करोड़ 25 लाख रुपये किश्तों में जारी करने की बात कही गयी थी, जिसका निर्माण कार्य प्रारंभ आज तक नहीं हो सका। इसके अतिरिक्त पिछले वर्ष कुछ स्कूलों से टाई अप कर बच्चों के शिक्षा व्यवस्था प्रारम्भ की गई उसमें भी कई अड़चने हैं, चूंकि अकलतरा के स्कूलों से टाई अप किया गया है, इसलिए अधिक दूरी होने के वजह से बच्चों का परिवहन सेवा बाधित होता रहता है। प्रथम वर्ष ही बच्चों के स्कूल बस बीच मेे बंद होते रहते थे, जिससे बच्चों के शिक्षा ग्रहण में बाधा पहुंच रही थी। इसलिए श्रमिक संघ ने जब तक कारखाना द्वारा स्वयं का स्कूल प्रभावित क्षेत्र में नहीं बन जाता तब तक परिवहन का व्यवस्था कारखाना प्रबन्धन द्वारा किये जाने की मांग की गई है, इसके अतिरिक्त मूलभूत एवं श्रम कानून के तहत मिलने वाले अधिकारों की मांग की गई है।
इस संबंध में एचएमएस यूनियन के श्रमिक नेता मुलचन्द नोरगे ने बताया कि शनिवार को प्रबन्धन के साथ कारखाना परिसर में बैठक हुई थी, किन्तु कारखाना प्रबन्धन के साथ नहीं बनी, प्रबन्धन हमारी मांगो को पूरी करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। वहीं श्रमिक नेता लोभन साहू ने बताया कि हम हर बार चाहते शांतिपूर्ण तरीके से हमारी मांगो पर सकारात्मक पहल हो किन्तु प्रबन्धन की हठधर्मिता और अपने जिम्मेदारियों से बचने के वजह से हमे विरोध स्वरूप टूल डाउन करना पड़ा।
वही एचएमएस यूनियन के महामंत्री बलराम गोस्वामी ने बताया कि कारखाना की बिक्री प्रक्रिया इस समय से तीव्र गति से चल रही है, ऐसे हम चाहते है कि श्रमिकों को जो भी लाभ या सुविधाएं मिलने की सहमति बन रही है वह लिखित और स्पष्ट हो, लेकिन प्रबन्धन से बात नहीं बन पा रही है। कुछ मुद्दों पर मौखिक आश्वासन हमे स्वीकार नहीं है। आने वाले समय पर कारखाना का नया मालिक आ जायेगा, संभवतः प्रबन्धन में बदलाव होगा, इसलिए हम नहीं चाहते कि जो पिछले 10 वर्षों से हम संघर्ष कर रहे हैं, वह आगे भी जारी रहे। हमारा अंतिम समय तक प्रयास रहा है कि बिना कोई रुकावट के शांतिपूर्ण तरीके से समझौता हो जाये, किन्तु प्रबन्धन के द्वारा हमें सहयोग नहीं किया गया।