हेल्थ टिप्स: पिछले कुछ समय से सड़क पर आवारा कुत्तों के हमले की घटना बढ़ती जा रही है. आवारा कुत्ते के काटने से रेबीज नामक खतरनाक बीमारी हो सकती है। इस बीमारी में व्यक्ति पागल हो सकता है या उसकी मृत्यु भी हो सकती है। इसलिए अगर कुत्ता काट ले तो लापरवाही न बरतें। रेबीज बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी अलग-अलग कार्यक्रम चला रहे हैं। हर किसी को इसके प्रति जागरूक होना चाहिए और यह भी जानना चाहिए कि इससे बचने के लिए क्या किया जा सकता है।
रेबीज़ कैसे होता है?
रेबीज जानवरों के काटने या पंजे के काटने से होता है। यह रोग सिर्फ कुत्ते के काटने से ही नहीं होता, कुत्तों के अलावा बिल्ली, बंदर और अन्य जानवरों में भी इस रोग की संभावना बढ़ जाती है। यह रोग जानवरों के नाखूनों से भी हो सकता है।
रेबीज का इंजेक्शन कब लें?
रेबीज का टीका प्राप्त करने की कोई समय सीमा नहीं है। लेकिन आदर्श स्थिति तो यही है कि अगर आपको कुत्ता या बिल्ली काट ले तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और इंजेक्शन लगवाएं। यदि किसी कारण से आपको तुरंत इंजेक्शन नहीं मिल पाता है तो कुत्ते के काटने के 24 घंटे के भीतर भी इंजेक्शन लगाया जा सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि जानवर के काटने के बाद शरीर में रेबीज के लक्षण दिखने से पहले इंजेक्शन लेना जरूरी है। यानी आप कुत्ते या बिल्ली के काटने के कुछ दिन बाद भी इंजेक्शन ले सकते हैं।
रेबीज के लक्षण
कुत्ते के काटने के बाद शरीर में रेबीज के लक्षण प्रकट होने का समय अलग-अलग होता है। अर्थात्, कुछ लोगों को कुत्ते द्वारा काटे जाने के चार दिनों के भीतर लक्षणों का अनुभव हो सकता है, जबकि कुछ को वर्षों तक लक्षणों का अनुभव नहीं हो सकता है। इसलिए अगर जानवर काट ले या उसके नाखून लग जाएं तो तुरंत अस्पताल जाकर रेबीज का इंजेक्शन लें। लक्षण प्रकट होने का इंतज़ार न करें.
100 प्रतिशत मृत्यु दर
रेबीज एक लाइलाज बीमारी है। इसकी मृत्यु दर 100 प्रतिशत है। यदि किसी व्यक्ति में रेबीज के लक्षण विकसित हो जाएं तो मृत्यु लगभग निश्चित है। इसलिए अगर कुत्ता काट ले या नाखून काट ले तो इंजेक्शन ले लें। कुत्तों के अलावा यह बीमारी बिल्लियों या बंदरों के नाखून खरोंचने या काटने से भी हो सकती है, इसलिए सावधान रहें और तुरंत रेबीज का इंजेक्शन लें।