नई दिल्ली, 24 मई (हि.स.)। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने इस बार अपने बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स के साथ ही अपने अन्य इंडेक्सों में भी बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है। बीएसई ने इस बार की हाफ इयरली रीबैलेंसिंग एक्सरसाइज के तहत अडाणी पोर्ट्स को सेंसेक्स में शामिल करने का फैसला लिया है। आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी विप्रो सेंसेक्स से बाहर हो जाएगी। सेंसेक्स में ये बदलाव एक महीने बाद 24 जून से प्रभावी होंगे।
बीएसई की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक सेंसेक्स में शामिल 30 कंपनियों के स्टॉक्स की हर 6 महीने पर रीबैलेंसिंग एक्सरसाइज के तहत समीक्षा की जाती है। इस समीक्षा में कंपनियों के परफॉर्मेंस के हिसाब से उन्हें सेंसेक्स या दूसरे इंडेक्स में कायम रखा जाता है या फिर उन्हें बाहर कर किसी दूसरी कंपनी को जगह दी जाती है। रीबैलेंसिंग एक्सरसाइज के तहत इस बार सेंसेक्स के अलावा बीएसई 100, सेंसेक्स 50, सेंसेक्स नेक्स्ट 50 और बीएसई बैंकेक्स में भी बदलाव किया जा रहा है।
बीएसई के मुताबिक बीएसई 100 इंडेक्स में रूरल इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (आरईसी), केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, कमिन्स इंडिया और एचडीएफसी एएमसी को शामिल किया जा रहा है। अभी मौजूद एसबीआई कार्ड्स, जूबिलेंट फूडवर्क्स, पेज इंडस्ट्रीज, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस और जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज को इस सूचकांक से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। इसी तरह सेंसेक्स 50 से डिवीज लेबोरेट्रीज की छुट्टी हो रही है। उसकी जगह टाटा ग्रुप की रिटेल कंपनी ट्रेंट लेगी।
जानकारों के मुताबिक जिन कंपनियों के स्टॉक्स को सूचकांक में शामिल किया जाता है या सूचकांक से बाहर किया जाता है, उससे उन कंपनियों के स्टॉक्स भी प्रभावित होते हैं, क्योंकि म्युचुअल फंड हाउस की कई स्कीम इंडेक्स आधारित होती है। जब भी म्युचुअल फंड हाउस अपने इंडेक्स फंड में पैसा लगाता है, तो उससे इंडेक्स में शामिल सभी स्टॉक्स को पैसा मिलता है, जिससे कंपनियों के स्टॉक्स की कीमत में तेजी आने की संभावना बन जाती है। इसी तरह जब म्युचुअल फंड हाउस किसी इंडेक्स फंड से पैसे की निकासी करते हैं, तो उससे भी कंपनियों के स्टॉक्स के बाजार भाव पर नकारात्मक असर पड़ता है।