25 मई को लोकसभा चुनाव के छठे चरण के मतदान से पहले, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में 77 मुस्लिम जातियों के लिए ओबीसी का दर्जा खत्म करने का एक ऐतिहासिक आदेश पारित किया है। कलकत्ता हाई कोर्ट का ये फैसला आजकल काफी चर्चा में है. इन 77 मुस्लिम जातियों को ओबीसी का दर्जा देने के आधार को ही हाई कोर्ट ने अमान्य कर दिया है. इससे अब पश्चिम बंगाल की 17 सीटों पर रातों-रात समीकरण बदलने के आसार हैं। 77 जातियों में से 42 को 2010 में तत्कालीन वामपंथी सरकार द्वारा ओबीसी का दर्जा दिया गया था, जबकि अन्य जातियों को ममता बनर्जी सरकार द्वारा ओबीसी का दर्जा दिया गया था। हाईकोर्ट ने सभी 77 मुस्लिम जातियों का ओबीसी दर्जा तत्काल खत्म करने और ओबीसी कोटे के तहत भर्ती पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया है। हालांकि, ऐसे ओबीसी कोटे के तहत रोजगार या प्रवेश पाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। ऐसे में ऐसे वर्ग को राहत दी गई है. कलकत्ता हाई कोर्ट के इस फैसले का असर अन्य राज्यों में भी ओबीसी कोटा पर पड़ सकता है.
हाई कोर्ट ने क्या कहा?
हाई कोर्ट ने कहा कि 77 मुस्लिम जातियों को ओबीसी का दर्जा देने में गलत मानदंड अपनाए गए हैं. इनका उपयोग वाटबैंक के रूप में किया जा सकता है। जिन्हें ओबीसी का दर्जा दिया गया है उन्हें वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करने की कोशिश की गई है. 3 लोगों की ओर से दायर याचिका में शिकायत की गई थी कि ओबीसी-6 और ओबीसी-बी की सूची में शामिल लोगों को बिना किसी आर्थिक या सामाजिक अध्ययन के सूची में शामिल किया गया है. आरोप है कि ये बदलाव 2011 में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद किए गए थे.