फर्जी सिम कार्ड के खिलाफ सरकार की कार्रवाई: दूरसंचार विभाग (DoT) ने लगभग 6.8 लाख मोबाइल कनेक्शनों की पहचान की है, जिन पर फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके प्राप्त किए जाने का संदेह है। इन दस्तावेजों में पहचान पत्र और पता प्रमाण पत्र शामिल हैं।
ऑनलाइन स्कैम: आपने ऑनलाइन धोखाधड़ी के ऐसे कई मामले देखे होंगे, जहां स्कैमर्स लोगों को फंसाकर उनसे पैसे ठग लेते हैं। स्कैमर्स लोगों को लुभावने ऑफर का लालच देकर फंसाते हैं। अक्सर स्कैमर्स लोगों को आसानी से पैसे कमाने का तरीका बताते हैं और शुरुआत में पैसे भी देते हैं, ताकि वे लोगों का भरोसा जीत सकें। लेकिन, बाद में वे लाखों रुपये की ठगी कर लेते हैं। कई बार ऐसे मामलों में फर्जी सिम का भी इस्तेमाल किया जाता है। ये फर्जी सिम फर्जी दस्तावेजों के साथ हासिल किए जाते हैं।
सरकार ने बाजार में फर्जी सिम की बिक्री को रोकने के लिए बड़ी कार्रवाई की है। सरकार ने 6 लाख से ज्यादा मोबाइल नंबर केवाईसी के लिए लौटा दिए हैं। इन मोबाइल कनेक्शनों को 60 दिनों में दोबारा वेरिफाई करना होगा। साइबर अपराधियों द्वारा फर्जी सिम के इस्तेमाल को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।
दूरसंचार विभाग (DoT) ने लगभग 6.8 लाख मोबाइल कनेक्शनों की पहचान की है, जिनके बारे में संदेह है कि उन्हें फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके हासिल किया गया है। इन दस्तावेजों में पहचान पत्र और पता प्रमाण पत्र शामिल हैं। विभाग को इन दस्तावेजों की प्रामाणिकता पर संदेह है।
सरकारी आदेश
दूरसंचार विभाग ने टेलीकॉम कंपनियों (TSP) को इन 6.8 लाख मोबाइल नंबरों को तुरंत फिर से सत्यापित करने का निर्देश दिया है। सभी टेलीकॉम कंपनियों को 60 दिनों के भीतर इन नंबरों को फिर से सत्यापित करना होगा। अगर सत्यापन नहीं किया गया तो ये नंबर ब्लॉक कर दिए जाएंगे।
यह कैसे हो गया?
सरकार को यह सफलता विभागों के बीच आपसी सहयोग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक की बदौलत मिली है। इससे पता चलता है कि फर्जी पहचान के इस्तेमाल को रोकने में एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म कितने कारगर हो सकते हैं।
यह कार्रवाई क्यों की गई?
दूरसंचार विभाग मोबाइल कनेक्शन की प्रामाणिकता और डिजिटल लेनदेन की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहता है। इसीलिए विभाग दोबारा सत्यापन करवा रहा है। इससे ऑनलाइन धोखाधड़ी जैसे मामलों में कमी लाने में मदद मिलेगी।