दूर्वा घास के फायदे: दूर्वा घास को बहुत पवित्र माना जाता है। इसका प्रयोग विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा में किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल एक शक्तिशाली जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता है।
दूर्वा घास कई पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसमें विटामिन-ए, विटामिन-सी, प्रोटीन, पोटेशियम, मैग्नीशियम, सोडियम, एसिटिक एसिड, एल्कलॉइड और ग्लूकोसाइड जैसे कई पोषक तत्व होते हैं।
इसके अलावा इसमें एंटी-वायरल, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-सेप्टिक गुण भी होते हैं। माना जाता है कि यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने से लेकर पाचन समस्याओं से राहत दिलाने तक हर चीज में फायदेमंद है। वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक प्रोफेसर डाॅ. विनय खुल्लर ने बताया कि दूर्वा घास की तासीर ठंडी होती है।
स्वाद तीखा और थोड़ा मीठा होता है
इसका स्वाद तीखा और थोड़ा मीठा होता है. यह शरीर के अंदर और बाहर की समस्याओं के लिए एक प्रभावी औषधि है। बच्चे अक्सर खेलते समय या गिरकर घायल हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में दूर्वा घास लगाने से रक्तस्राव की समस्या से राहत मिलती है, क्योंकि दूर्वा घास में मौजूद गुण रक्तस्राव को रोकने में मदद करते हैं और चोट वाली जगह को ठीक करने में मदद करते हैं।
यह जलन और खुजली से भी राहत दिलाता है
इसके साथ ही दूर्वा घास लगाने से शरीर में होने वाली जलन और खुजली से भी राहत मिलती है, क्योंकि दूर्वा घास की तासीर ठंडी होती है। इसमें मौजूद औषधीय गुण त्वचा को ठंडक पहुंचाते हैं और जलन और खुजली की समस्या से राहत दिलाते हैं। दूर्वा घास में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं।
यह त्वचा संबंधी विभिन्न समस्याओं जैसे खुजली, जलन और चकत्ते आदि को ठीक करने में मदद करता है। इसका उपयोग एक्जिमा और फंगल इंफेक्शन जैसी बीमारियों के इलाज के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
इसका उपयोग कैसे करना है:
दूर्वा घास का प्रयोग कई प्रकार से किया जा सकता है। आप घास का जूस बनाकर रोज सुबह खाली पेट पी सकते हैं। इसके अलावा दूर्वा घास को सुखाकर उसका पाउडर भी बनाया जा सकता है। इस पाउडर को शहद या पानी के साथ मिलाया जा सकता है। त्वचा संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आप दूर्वा का लेप प्रभावित जगह पर लगा सकते हैं, इससे जल्दी असर होगा।