मथुरा, 22 मई(हि.स.)। श्रीकृष्ण की नगरी में बुधवार नृसिंह देव का प्राकट्य उत्सव भक्ति भाव से श्रद्धापूर्वक परंपरागत रूप से मनाया गया। वहीं प्रसिद्ध द्वारिकाधीश मंदिर में सायंकाल नृसिंह लीला का आयोजन हुआ। जिसको देखने के लिए श्रद्धालुओं का ऐसा सैलाब उमड़ा कि पैर रखने की जगह भी नजर नहीं आई। इसी प्रकार से श्रीकृष्ण जन्मभूमि में ठाकुर केशवदेव जी महाराज ने नृसिंह रूप में श्रद्धालुओं को दर्शन दिए।
पुष्टिमार्गीय संप्रदाय के मंदिर ठा. द्वारकाधीश में बुधवार को सांयकाल संध्या आरती के बाद नरसिंह लीला का आयोजन हुआ। यह आयोजन विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी भगवान नरसिंह जी ने हिरण्य कश्यप के अभिमान का दमन किया और भक्त प्रह्लाद के कहने पर भगवान नरसिंह जी ने अवतार लिया, क्योंकि हिरण्य कश्यप द्वारा भक्त प्रह्लाद से कहा कि तेरा भगवान कहा है तो भक्त प्रह्लाद के द्वारा कहा गया कि मेरा भगवान सर्वव्यापी है और सभी जगह स्थित है। हिरण्य कश्यप को वरदान मिला हुआ था वह ना अस्त्र से मरेगा ना शस्त्र से मारेगा इसलिए भगवान ने खंबे में से प्रकट होकर अपने नाखूनों से उस का वध किया और इस प्रकार हिरण्य कश्यप के अभिमान का दमन हुआ और भगवान नरसिंह जी ने अवतार लिया, इसीलिए उत्सव मनाया जाता है।
इस अवसर पर मंदिर के सभी अधिकारी व कर्मचारियों ने सहयोग किया और उसके बाद ठाकुर जी के जन्म के दर्शन खुले और शयन हुई। मंदिर के मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी एडवोकेट ने बताया नरसिंह लीला देखने के लिए मंदिर बड़ी संख्या में भक्त मौजूद रहे।
जन्मस्थान में केशवदेव जी ने दिए नृसिंह रूप में दर्शन
श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर भगवान नृसिंहजी की जयन्ती परंपरागत ढंग एवं श्रद्धा के साथ मनायी गई। जन्मस्थान परिसर में स्थित ठाकुर केशवदेवजी महाराज के प्रातः से ही श्रद्धालुओं को भगवान नृसिंह के दिव्य स्वरूप में दर्शन हुऐ। इस अवसर पर श्रीकेशवदेव मंदिर के निज प्रांगण को भव्य पुष्प-बंगला, विद्युत सज्जा आदि से सुसज्जित किया गया। ठाकुर केशवदेव महाराज के श्रीविग्रह का मंदिर के पुजाचार्यों द्वारा भगवान नृसिंह के रूप में दिव्य श्रृंगार किया गया। सायंकालीन बेला में भगवान नृसिंह के स्वरूप में भगवान श्रीकेशवदेव का विशेष पूजन के उपरान्त वृहद मात्रा में श्रद्धालुओं को प्रसाद का वितरण किया गया।
असकुण्डा घाट के प्राचीन नृसिंह मंदिर में हुआ महामस्तकाभिषेक
शहर के मध्य असकुण्डा घाट स्थित प्राचीन नृसिंह मंदिर पर नृसिंह देव का प्राकट्य उत्सव भक्ति भाव से श्रद्धापूर्वक परंपरागत रूप से मनाया गया। अभिजित बेला में दोपहर को नृसिंह देव का महामस्तकाभिषेक शंख, घण्टा घड़ियाल की मंगल ध्वनि के मध्य वैदिक मंत्रोच्चारण करते हुये तंत्र विशेषज्ञ मुन्नालाल मिश्र टनाटन, सेवायत पंडित मनोज मिश्र, विनोद मिश्र, पंडित अमित भारद्वाज, दीपक शास्त्री ने किया। सात नदियों के जल, गुलाब जल, इत्र से शुद्धोधक स्नान कराया गया। अभिषेक के बाद शीतलता प्रदान करने के लिए शर्बत मुनक्का व हलवा का भोग लगाकर जन्म आरती की गयी।
मंदिर प्रांगण में पं.मनोज मिश्र ने वस्त्र, स्वर्ण रजत मुकुट श्रृंगार, वस्त्र अलंकरण पुष्पहारों से आकर्षक श्रृंगार किया। सायं भव्य फूल बंगला में विराजमान होकर प्रभु ने भक्तों को दर्शन देंगे। मंदिर में आज प्रसाद वितरण किया गया। देर रात्रि तक दर्शन और 108 दीप ज्योतियों से महाआरती की जायेगी।