विदिशा, 21 मई (हि.स.)। राजमाता विजयाराजे सिंधिया शासकीय कन्या (अग्रणी) स्नातकोत्तर महाविद्यालय विदिशा में मंगलवार को भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध संदर्भ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। यह वेबिनार उच्च शिक्षा विभाग , मध्य प्रदेश शासन द्वारा प्रायोजित हुआ।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. नीता पांडेय ने मुख्य वक्ताओं का स्वागत करते हुए कहा कि भारत एक व्यापक संस्कृति और प्राचीनतम इतिहास से समृद्ध राष्ट्र रहा है। यहां ज्ञान की विभिन्न धाराएं सदियों से प्रवाहित रही हैं। आज इस वेबिनार के माध्यम से हम उन धाराओं से परिचित हो सकेंगे। वक्ता के रूप में बोलते हुए कोच बिहार पंचानन बर्मा विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल से जुड़े डॉ. सुशील कुमार सुमन ने वैदिक सभ्यता में ज्ञान के प्रति उत्सुकता और खोज को रेखांकित किया, साथ ही उसके विकास को लोक-ज्ञान के तालमेल के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया।
एनसीआरटी के क्षेत्रीय संस्थान भोपाल में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत डॉ. अरुणाभ सौरभ ने भारतीय ज्ञान परंपरा की विभिन्न धाराओं के बीच सहमति-असहमति और पारस्परिकता को प्रस्तुत करते हुए अपना वक्तव्य रखा। उन्होंने भारतीय चिंतन और ज्ञान की परंपरा में ज्ञान के विविध अनुशासनों के महत्त्व को स्पष्ट किया।
वेबिनार का संयोजन प्रो. अस्मुरारी नंदन मिश्र एवं संचालन प्रो. रवि रंजन ने किया। आयोजन में डॉ. रामू विश्वकर्मा, डॉ. आरती मल्होसिया, प्रो. जोनू यादव, प्रो. रामाशीष यादव, कृष्ण कुमार, राजू साहू के साथ महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों का सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ तथा इसमें महाविद्यालय की छात्राओं की उत्साहजनक उपस्थित रही।