मेरठ, 17 मई (हि.स.)। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में चल रही करियर एवं पर्सनेलिटी डेवलपमेंट कार्यशाला का शुक्रवार को समापन हो गया। करियर काउंसर प्रो. अजय अग्रवाल ने उद्यमिता की उपयोगिता एवं उसमें सफलता पाने के मूल मंत्र बताएं।
उन्होंने कहा कि समाज में दो प्रकार के लोग हैं। एक जो अपनी ऊर्जा को दूसरों के लिए लगा देते हैं और बदले में एक निश्चित वेतन प्राप्त करते हैं। यह नौकरी का मार्ग है। दूसरे वे है जो औरों की ऊर्जा को किसी समाज के उपयोगी कार्य में लगाकर उनका एक निश्चित वेतन देकर एक उद्यम की स्थापना करते हैं। यह उद्यम का मार्ग है। उद्यम मार्ग में असीमित संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा एवं श्रीमद्भागवत गीता में उद्यमिता में सफलता के तीन मंत्र हैं। भावना, ज्ञान और कर्म। अपने सपनों को साकार करने के लिए दृढ़ निश्चय करना होगा।
हरी-भरी कंपनी इलाहाबाद के निदेशक अनिल श्रीवास्तव ने उपयोगी जानकारी दी। विश्वविद्यालय के निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट प्रोफेसर आरएस सेंगर ने कहा कि छात्र-छात्राओं को चाहिए कि वह अपनी कमजोरी को खूबी बनाकर कंपनी के सामने पेश करें। अगर इंटरव्यू में कमियों पर सवाल पूछ ही लिया जाए तो जवाब रचनात्मक तरीके से दें।
उन्होंने कहा कि कंपनी के हर ऐसे पेशवारों के चयन को अधिक प्राथमिकता देते हैं, जिनकी क्षमताएं एवं कौशल कंपनी के लिए लाभदायक होते हैं। इसलिए इंटरव्यू के दौरान प्रबंधक से अपनी उन कमजोरी का जिक्र ना करें जो नौकरी की भूमिका से मेल खाती हो। इसके अलावा अपनी कमजोरी को तीन भागों में बांटे। पहले अपनी कमजोरी के बारे में बताएं। फिर कमजोरी के मामूली परिणाम का जिक्र करें और अंत में उन्हें बताएं कि आप अपनी कमियों को दूर करने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं।
प्रोफेसर सत्यप्रकाश ने कहा कि छात्रों को अपनी क्षमताओं के बारे में बताना चाहिए जिससे इंटरव्यू में वह सफल हो सकें। एसोसिएट डायरेक्टर ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट प्रोफेसर डीबी सिंह ने कहा कि इंटरव्यू में अपनी व्यक्तिगत ताकत के बचाए अपनी क्षमताओं के बारे में बताने का प्रयास करें।
इस दौरान डॉ. मधु वत्स, डॉ. अनिल रावत, प्रोफेसर शालिनी गुप्ता, डॉ. देश दीपक, शशांक रावत, युद्धवीर सिंह आदि उपस्थित रहे।