जौनपुर, 17 मई (हि. स.)। शुक्रवार को जिला न्यायालय में उस समय हलचल तेज हो गई, जब आगरा से आए एक अधिवक्ता ने एक बार फिर से अटाला मस्जिद को अटाला देवी का मंदिर बताते हुए न्यायालय में वाद दायर करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया। इससे पूर्व तीन लोगों द्वारा अब तक इस मस्जिद को मंदिर बताने का दावा पेश करते हुए न्यायालय में वाद दायर किया जा चुका है।
सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में अटाला मजिस्द को अटाला माता मंदिर बताते हुए आगरा के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, प्रबंधन कमेटी अटाला मस्जिद के खिलाफ दावा पेश किया। अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि वाद सम्पत्ति अटाला मस्जिद मूल रूप से अटाला माता का मंदिर है। ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार अटाला माता मंदिर का निर्माण कन्नौज के राजा जयचंद्र राठौर ने करवाया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के प्रथम निदेशक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अटाला माता मंदिर को तोड़ने का आदेश फिरोज शाह ने दिया था। लेकिन हिंदुओं के संघर्ष के कारण मंदिर को तोड़ नहीं पाया। जिस पर बाद में इब्राहिम शाह अतिक्रमण कर मंदिर का उपयोग मस्जिद के रूप में करने लगा।
उन्होंने बताया कि कलकत्ता स्कूल ऑफ आर्ट के प्रिंसिपल ईबी हेवेल ने अपनी पुस्तक में अटाला मस्जिद की प्रकृति व चरित्र को हिन्दू बताया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनेक रिपोर्ट्स में अटाला मस्जिद के चित्र दिए गए हैं। जिनमें त्रिशूल, फूल, गुड़हल के फूल, त्रिशूल आदि मिले हैं। वर्ष 1865 के एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल के जनरल में अटाला मजिस्द के भवन पर कलश की आकृतियों का होना बताया गया है। अटाला मस्जिद ही अटाला माता मंदिर का मूल भवन है जो कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन एक संरक्षित स्मारक है और एक राष्ट्रीय महत्व का स्मारक है। इस दौरान अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह, उपेंद्र विक्रम सिंह, हिमांशु श्रीवास्तव उपस्थित रहे।