देहरादून, 16 मई (हि.स.)। उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा हिंदुओं के आस्था की सबसे बड़ी यात्रा है। पौराणिक मान्यता है कि चारधाम यात्रा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और सदियों से यह धार्मिक यात्रा जारी है। हर वर्ष देश के कोने-कोने से श्रद्धालु चारधाम यात्रा के लिए उत्तराखंड पहुंचते हैं और भगवान शिव के प्रमुख स्थान केदारनाथ धाम, भगवान विष्णु के स्थान बद्रीनाथ धाम, गंगोत्री और यमुनोत्री की धार्मिक यात्रा करते हैं। इस बार चारधाम यात्रा 10 मई से शुरू हुई है। चारधाम यात्रा को लेकर शक्ति-भक्ति से लबरेज उत्साहित भक्त अब तक 27,92,679 पंजीकरण करा चुके हैं और सप्ताह भर में चार लाख के करीब श्रद्धालु चारों धाम में हाजिरी लगा चुके हैं।
चारधाम यात्रा के बढ़ते क्रेज को लेकर पर्यटन विभाग और सरकार को उम्मीद है कि इस बार की चारधाम यात्रा पिछले वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ सकती है। वर्ष 2023 में 56 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने चारों धामों में दर्शन किए थे। ‘हिन्दुस्थान समाचार’ आपको हिंदुओं के आस्था की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा के बारे में विस्तार से बता रहा है, ताकि आपको अपने सारे सवालों का जवाब मिल सके। दरअसल, इस वर्ष अब तक सबसे अधिक पंजीकरण केदारनाथ धाम के लिए हुआ है। महज सप्ताह भर में 2792679 लोगों ने चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण करा लिया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यात्रा से जुड़े अधिकारियों को श्रद्धालुओं के साथ शालीनता और सहनशीलता के साथ पेश आने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में सभी विभाग अलर्ट मोड पर हैं। इस बार चारधाम यात्रा शुरू होने के 15 दिन के भीतर वीआईपी और वीवीआईपी दर्शन नहीं हो पाएंगे।
अब तक 3.98010 लाख श्रद्धालु नवा चुके हैं शीश
कपाट खुलने से लेकर अब तक दर्शन की बात करें तो चारों धाम में अब तक कुल 398010 श्रद्धालु शीश नवां चुके हैं। श्रीकेदारनाथ धाम में मात्र छह दिनों में 183677 तीर्थयात्री दर्शन किए हैं। इसी प्रकार यमुनोत्री धाम में अब तक कुल 81151 तो गंगोत्री धाम में 75314 तीर्थयात्री दर्शन कर चुके हैं। वहीं श्रीबद्रीनाथ धाम में महज पांच दिनों में 57868 तीर्थयात्री दर्शन कर चुके हैं।
सप्ताह भर में 2792679 तीर्थयात्री ने कराए हैं पंजीकरण
10 मई से शुरू हुई चारधाम यात्रा के लिए अब तक 2792679 तीर्थयात्री पंजीकरण करा चुके हैं। यमुनोत्री के लिए 439965, गंगोत्री के लिए 499268, श्रीकेदारनाथ के लिए 936929, श्रीबद्रीनाथ के लिए 852606 तो हेमकुंड साहिब के लिए 63911 तीर्थयात्री पंजीकरण कराए हैं। बुधवार को 28,284 तीर्थयात्रियों ने पंजीकरण कराया है। पंजीकरण 15 अप्रैल से शुरू हुआ था।
चारधाम यात्रा के लिए जरूरी है पंजीकरण
चारधाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को पंजीकरण कराना जरूरी है। श्रद्धालु उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की वेबसाइट, ऐप, टोल फ्री नंबर और वाट्सएप के जरिए पंजीकरण करा सकते हैं। पिछली बार की तरह इस बार किसी भी धाम के लिए यात्रियों की संख्या सीमित करने का प्रावधान नहीं रखा गया है। श्रद्धालु चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण registrationandtouristcare.uk.gov.in वेबसाइट के माध्यम से करा सकते हैं। तीर्थयात्री वाट्सएप नंबर 91-8394833833 के माध्यम से भी अपना पंजीकरण करा सकते हैं। साथ ही टोल फ्री नंबर 0135 1364 से भी पंजीकरण करा सकते हैं। तीर्थयात्री touristcareuttarakhand ऐप से भी अपना पंजीकरण करा सकते हैं। लैंडलाइन नंबरों 0135-1364, 0135-2559898, 0135-2552627 के माध्यम से भी श्रद्धालु चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण करा सकते हैं। touristcare.uttarakhand@gmail.com पर मेल भेजकर भी पंजीकरण कराया जा सकता है। अगर श्रद्धालु पंजीकरण के दौरान गलत जानकारी देते हैं तो उनका पंजीकरण रद्द हो जाएगा।
हर दो घंटे में 10 मिनट विश्राम, रेनकोट-छाता और दवाइयां साथ रखें यात्री
चारधाम यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों के लिए स्वास्थ्य विभाग ने श्रद्धालुओं को सलाह दी है कि केदारनाथ और यमुनोत्री धाम में पैदल चढ़ते समय प्रत्येक एक से दो घंटे के बाद पांच से 10 मिनट तक विश्राम करें। तीर्थयात्री अपने साथ गर्म कपड़े रखें और बारिश से बचाव के लिए रेनकोट व छाता साथ लाएं। साथ ही तीर्थयात्रियों को पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर साथ रखने की सलाह दी गई है। हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, मधुमेह से ग्रसित श्रद्धालु जरूरी दवा और डॉक्टर का नंबर साथ रखें। अगर तीर्थयात्रा के दौरान किसी यात्री के सीने में दर्द, सांस की तकलीफ, चक्कर आना और उल्टी होती है तो नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या मेडिकल रिलीफ में दिखाएं। स्वास्थ्य विभाग ने यात्रियों से कहा है कि कम से कम सात दिन के लिए चारधाम यात्रा की योजना बनाएं।
सबसे पहले पांडवों ने किया था केदारनाथ धाम का निर्माण
उत्तराखंड के गढ़वाल स्थित केदार नामक चोटी पर बना केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसे भगवान शिव का विशेष धाम माना गया है। इस मंदिर की अपनी धार्मिक और पौराणिक मान्यताएं हैं। मंदिर नर और नारायण पर्वत के बीच में बसा हुआ है। पौराणिक कथा के मुताबिक, हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उनकी प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर दिया।
पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत के बाद पांडवों के स्वर्ग जाते वक्त भगवान शिव ने भैंसे के रूप में उन्हें दर्शन दिए जो बाद में धरती में समा गए. धरती में पूर्णत: समाने से पहले भीम ने भैंसे की पूछ पकड़ ली। जिस स्थान पर भीम ने यह किया, उसे वर्तमान में केदारनाथ धाम के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पांडवों के निर्माण के बाद यह मंदिर लुप्त हो गया था। आठवीं सदी में आदि गुरु शंकराचार्य ने भगवान शिव के इस मंदिर का फिर से निर्माण करवाया। केदारनाथ मंदिर 400 वर्षों तक बर्फ में दबा रहा। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि 13वीं से लेकर 17वीं सदी तक छोटा सा हिमयुग आया था, जिस दौरान यह मंदिर बर्फ में दबा रहा। केदारनाथ मंदिर के पीछे आदिशंकराचार्य की समाधि है। 10वीं सदी में मालवा के राजा भोज और फिर 13वीं सदी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया।
पहले शिव का स्थान था बद्रीनाथ फिर श्रीहरि ने मांग लिया
भगवान विष्णु का यह पवित्र मंदिर नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं की गोद मेंअलकनंदा नदी के बायीं तरफ बसा है। यह पवित्र स्थल भगवान विष्णु के चतुर्थ अवतार नर एवं नारायण की तपोभूमि है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है, उसे माता के गर्भ में दोबारा नहीं आना पड़ता। प्राणी जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है। भगवान विष्णु से पहले यह स्थान शिव का था। भगवान विष्णु को यह जगह तप के लिए पसंद आई तो वह बाल रूप धारण कर रोने लगे जिसे सुनकर स्वयं माता पार्वती और शिवजी उस बालक के समक्ष उपस्थित हुए और पूछा कि उसे क्या चाहिए? बालक वेशधारी विष्णु भगवान ने शिव से ध्यान के लिए यह स्थान मांग लिया। भगवान विष्णु ने शिव-पार्वती से रूप बदलकर जो स्थान प्राप्त किया, वही पवित्र स्थल बद्रीविशाल नाम से लोकप्रिय है। बद्रीनाथ धाम समुद्र तल से 10200 फीट की ऊंचाई पर है। मंदिर का बेस कैंप जोशीमठ है, जहां भगवान नृसिंग का बेहद प्रसिद्ध मंदिर है। जोशीमठ से बद्रीनाथ मंदिर की दूरी करीब 45 किलोमीटर है।