हर मौसम के अपने फायदे और नुकसान होते हैं, जैसे ठंड के मौसम में जहां सर्दी-खांसी का खतरा रहता है, वहीं गर्मी के मौसम में कई संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में सुरक्षा के लिए इनके बारे में जानकारी होना जरूरी है और यहां हम आपको इसी बारे में सही जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं। आपको बता दें कि इस संबंध में हम लखनऊ के जनरल फिजिशियन डाॅ. बृजेंद्र सिंह से बात की और उनसे मिली जानकारी यहां आपके साथ साझा कर रहा हूं।
गर्मी के मौसम में बीमारियों और संक्रमण का खतरा सामान्य दिनों की तुलना में अधिक रहता है। इसलिए इस मौसम में स्वस्थ रहने के लिए विशेष देखभाल और सावधानी की जरूरत होती है। देखा जाए तो आप ये सावधानियां तभी बरत सकते हैं जब आपको इन बीमारियों के लक्षण और उनसे जुड़ी समस्याओं के बारे में पता हो। तो आइए जानते हैं इन बीमारियों के बारे में…
डायरिया
गर्मी के मौसम में पाचन संबंधी समस्याएं आम होती हैं। ऐसे में अगर इन दिनों में खान-पान में थोड़ी सी भी लापरवाही बरती जाए तो डायरिया और पेट संबंधी गंभीर समस्याएं होने का खतरा रहता है। आपको बता दें कि डायरिया से बार-बार दस्त, उल्टी, सूजन या पेट दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
मलेरिया
गर्मियों में मच्छर जनित बीमारियों का खतरा भी काफी हद तक बढ़ जाता है, क्योंकि इस मौसम में मलेरिया के कारण कई लोग बीमार पड़ जाते हैं। दरअसल, यह मौसम मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल है। ऐसे में मच्छरों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ उनसे फैलने वाली बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। मलेरिया के लक्षणों की बात करें तो इनमें सर्दी-जुकाम के साथ बुखार आना शामिल है। गंभीर मामलों में पेट दर्द और दस्त भी हो सकता है।
डेंगू
गर्मियों में डेंगू बुखार का खतरा भी काफी हद तक बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि डेंगू के मच्छर भी आमतौर पर गर्मियों में अधिक प्रजनन करते हैं। डेंगू के लक्षणों की बात करें तो इसमें तेज बुखार के साथ सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द होता है। इसे रोकने के लिए जरूरी है कि डेंगू के मच्छरों को घरों के आसपास पनपने न दिया जाए। इसके अलावा, मच्छरों से खुद को बचाने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें और जितना हो सके अपने शरीर को ढक कर रखें।
चिकनपॉक्स
चिकनपॉक्स एक वायरल बीमारी है, गर्मियों में इसके संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। आपको बता दें कि चिकन पॉक्स वैरिसेला ज़ोस्टर नामक वायरस से फैलता है। इसमें प्रभावित व्यक्ति के शरीर पर दाने निकल आते हैं। इससे बुखार, सिरदर्द और सूखी खांसी जैसी समस्याएं भी होती हैं। चिकन पॉक्स से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। आपको विशेष रूप से किसी पीड़ित के संपर्क में आने पर उचित सावधानी बरतनी चाहिए।
फूड पॉइजनिंग
आम दिनों की तुलना में गर्मियों में फूड पॉइजनिंग का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। दरअसल, इस मौसम में नमी के कारण खाना जल्दी खराब होता है और उसमें बैक्टीरिया पनपते हैं। ऐसे दूषित भोजन का सेवन करने से फूड पॉइजनिंग की समस्या हो जाती है। इसलिए इस मौसम में ताजे फल और भोजन का ही सेवन करना चाहिए।
डिहाइड्रेशन
गर्मियों में डिहाइड्रेशन भी आम है, लेकिन अगर समय पर इलाज न किया जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है। ऐसी स्थिति में पीड़ित की मृत्यु भी हो सकती है। इसलिए समय पर इसकी पहचान और इलाज जरूरी है। आपको बता दें कि डिहाइड्रेशन के कारण सिरदर्द, चक्कर आना, गला सूखना और कमजोरी जैसी शारीरिक समस्याएं होती हैं। इससे बचाव के लिए पानी के साथ फलों का जूस, नारियल पानी और अन्य पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
मम्प्स
मम्प्स गर्मियों में होने वाला एक संक्रामक रोग है, जिसे आमतौर पर मम्प्स के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि यह संक्रमण कान और जबड़े के बीच स्थित पैरोटिड ग्रंथि को प्रभावित करता है। इससे गले में खराश, सर्दी के साथ बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द जैसी समस्याएं होने लगती हैं। कण्ठमाला के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है। इसकी रोकथाम के लिए गर्म पानी से गरारे करना और तरल पदार्थों का सेवन करना फायदेमंद होता है।